नई दिल्ली। भारत के मध्यप्रदेश प्रांत में एक ऐसा स्कूल है जहां पर पढ़ने वाले बच्चे दोनों हाथों से लिखना सीखते हैं। यह स्कूल मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के एक गांव में है। इस स्कूल में तीन सौ बच्चे पढ़ते हैं जिनमें सभी दोनों हाथों से लिखते हैं। आंकड़ों से यह बात ज्ञात हुई है कि दुनिया समूची आबादी में दोनों हाथों से लिख पाने वाले लोगों की संख्या मात्र एक प्रतिशत है।
इस स्कूल के संस्थापक और पूर्व सैनिक वी.पी.शर्मा का कहना है कि वे भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद से प्रेरित हुए हैं जोकि दोनों हाथों से लिख सकते थे। यह बात उन्होंने एक पत्रिका में पढ़ी थी और जब मैंने अपने गांव में स्कूल डाला तो छात्रों को ऐसा प्रशिक्षण देने का फैसला किया।
वीणा वाहिनी स्कूल में आठवीं तक बच्चे पढ़ते हैं और दोनों हाथों से लिखने की शिक्षा पहली कक्षा से ही शुरू हो जाती है और जब बच्चे सातवीं और आठवीं कक्षा में पहुंचते हैं तो वे दो भाषाओं में एक साथ लिख सकते हैं। बच्चे कई भाषाएं भी जानते हैं जिनमें उर्दू भी शामिल है। बहुत सारे बच्चे तो ऐसे भी हैं जोकि दोनों हाथों से एक साथ अलग-अलग भाषाएं लिख सकते हैं। यह काम भी तेजी से और सही-सही होता है।
उल्लेखनीय है कि वीणा वाहिनी स्कूल की प्रत्येक 45 मिनट की क्लास में 15 मिनट तक हस्तलेखन का अभ्यास कराया जाता है। शर्मा का कहना है कि ऐसा अभ्यास करने से बच्चे एक ही समय में कई भाषाएं सीख सकते हैं। हालांकि यह भी माना जाता है कि इससे एकाग्रता भी बढ़ती है। हालांकि अमेरिका और फिनलैंड में हुई शोधों से यह बात साबित नहीं हुई है।
वी पी शर्मा ने यह स्कूल 1999 में शुरू किया था और उनका दावा है कि हस्तलेखन को लेकर उनके समर्पण के कारण दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने दोनों हाथों से लिखने के बारे में शोधकार्य भी किया था।