जम्मू। अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग को बचाना अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के लिए मुसीबत बन गया है। राज्य सरकार द्वारा सर्दी के कारण हिमलिंग की रक्षार्थ सुरक्षाकर्मी तैनात करने से इंकार के बाद उसे अपनी एक टीम को रवाना करना पड़ा है, जो माइनस 15 डिग्री टेम्प्रेचर में गुफा के बाहर डेरा डालेगी। टीम को वहां भिजवाने का मकसद यात्रा से पहले दर्शन करने की कोशिश करने वालों को रोकना भी है।
यह भी सच है कि अमरनाथ की पवित्र गुफा में इस बार बनने वाला तकरीबन 20 से 22 फुट का ऊंचा हिमलिंग उस ग्लोबल वॉर्मिंग को जरूर चिढ़ा रहा है जिसके कारण दुनियाभर में बर्फ के तेजी से पिघलने का खतरा पैदा हो गया है। इस हिमलिंग के दर्शनों की खातिर 1 जुलाई से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा की तैयारियां भी आरंभ हो चुकी हैं।
यह सच है कि दुनियाभर के बढ़ते तापमान का असर बाबा बर्फानी पर बिलकुल नहीं दिख रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से लगाई जा रहीं अटकलों के बावजूद कश्मीर स्थित प्रसिद्ध अमरनाथ की गुफा में इस बार भी 20 से 22 फुट ऊंचा हिमलिंग प्रकट हुआ है।
इस बार अमरनाथ में बाबा बर्फानी 20 से 22 फुट के आकार में प्रकट हुए हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग की आशंका के चलते माना जा रहा था कि हिमलिंग का आकार कम हो सकता है लेकिन 14,500 फुट की ऊंचाई पर इस गुफा में बाबा बर्फानी अपने पुराने रूप में मौजूद हैं।
जहां एक तरफ कश्मीर के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं वहीं इस वर्ष भी बाबा बर्फानी माता पार्वती और पुत्र गणेश के साथ पहले जैसे ही आकार में प्रकट हुए हैं। बाबा के द्वार तक पहुंचने के लिए भक्तों को काफी वक्त लग जाता है। बाबा के भवन तक जाने वाले बालटाल के रास्ते में अभी भी 20 फुट की करीब बर्फ जमा है। खून जमा देने वाली सर्दी पड़ रही है।
सरकारी तौर पर 2019 के दर्शन के लिए गुफा तक अभी भक्त नहीं पहुंच पाए हैं। गुफा तक सिर्फ पुलिस की एक टुकड़ी ही पहुंची थी जिसने वहां का जायजा लिया है। कुछेक पुलिसकर्मियों ने हिमलिंग की फोटो भी ली है और यह पाया है कि पिछले साल हिमलिंग की सुरक्षा की खातिर जो प्रबंध किए गए थे, वे यथावत हैं। हालांकि कुछ श्रद्धालुओं द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि वे गुफा तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं।
1 जुलाई से आरंभ हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए श्राइन बोर्ड ने पहले ही कई प्रबंध किए हैं। श्राइन बोर्ड के प्रवक्ता के बकौल, हिमलिंग के संरक्षण के लिए गुफा के द्वार पर लोहे की ग्रिल 7 साल पहले ही लगाई जा चुकी है।
अब श्राइन बोर्ड ने अपनी एक टीम को गुफा के लिए रवाना कर दिया है। इस टीम के जिम्मे हिमलिंग का संरक्षण करना और इसको सुनिश्चित करना है कि गुफा के भीतर जाकर कोई हिमलिंग से छेड़छाड़ न करे। नतीजतन श्राइन बोर्ड के कर्मियों को गुफा के बाहर उन भक्तों से तकरीबन 2 माह तक जूझना होगा, जो समय से पहले हिमलिंग के दर्शन इसलिए कर लेना चाहते हैं, क्योंकि पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है कि यात्रा शुरू होने से पहले ही हिमलिंग पिघल जाता रहा है।