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बद्रीनाथ मंदिर के पट बंद होने से पहले पंच पूजा

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, सोमवार, 14 नवंबर 2016 (18:14 IST)
-गौरव पांडे, देहरादून से
उत्तराखंड हिमालय स्थित बद्रीनाथ के 16 नवंबर को कपाट बंद किए जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बद्रीनाथ के पटबंदी और इसके पूर्व शुरू होने वाली पंचपूजाएं शुरू कर दी गई हैं।
इस सिलसिले में सोमवार को खड़क पुस्तक की विधिवत सोमवार को पूजा हुई। इससे पूर्व शनिवार से शुरू हुई पंच पूजाओं में शनिवार को गणेश पूजा के साथ भगवान गणेश के मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस मौके पर बद्रीनाथ के रावल जो कि मुख्य पुजारी भी हैं, ने भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की। सुबह दस बजे शुरू हुए पूजा अनुष्ठान के बाद भगवान गणेश को शीतकाल तक के लिए यथास्थान पर सुशोभित कर उनके मंदिर के कपाट बंद किए गए।
 
रविवार को तेरह तारीख के दिन इसी सिलसिले में बद्रीनाथ स्थित भगवान केदारेश्वर के कपाट बंद किए गए। 14 नवंबर यानी आज खड़क पुस्तक की विधिवत पूजा के बाद मंदिर की वेद ऋचाएं यथास्थान सुशोभित की गईं और 15 नवंबर यानी मंगलवार को धन ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की विशेष पूजा करके उन्हें आगामी छह माह के लिए मंदिर के गर्भगृह में आने का निमंत्रण दिया जाएगा। तत्पश्चात आगामी 16 नवंबर को दोपहर बाद तीसरे पहर 3.45 पर भगवान बद्रीनाथ के कपाट आगामी शीतकाल तक के लिए बंद किए जाएंगे, जिसके बाद उद्धव जी और कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर और शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
 
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नेहरू के जन्मदिन पर चित्र प्रतियोगिता : मुख्यमंत्री हरीश रावत ने  नेहरू जयंती के अवसर पर आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में पं. जवाहर लाल नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया तथा श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पं. नेहरू पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने दुनिया के लोगों का ध्यान बच्चों की ओर आकर्षित किया, बच्चों की दुनिया को पुरस्कृत किया। पं. नेहरू बच्चों के स्वाभाविक स्वभाव व भाषा को समझते थे इसीलिए वे चाचा नेहरू कहलाए।
 
उधर उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने बाल दिवस के अवसर पर राजभवन देहरादून में स्कूली बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत कराया। विभिन्न विषयों पर आधारित इस ‘ऑन द स्पॉट ड्राइंग कांपिटीशन' में विभिन्न आयु, वर्ग व कक्षाओं के छात्रों ने अपने विचारों और भावनाओं को पेंटिग के माध्यम से कैनवास पर उतारा।
 
राज्यपाल ने प्रदेश के सभी बच्चों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक और माता-पिता का जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है, सदैव अपने गुरुजनों और माता-पिता का सम्मान करें व उनके द्वारा दी जा रही शिक्षा को ग्रहण कर अपना करियर सुनिश्चित करें। राज्यपाल ने चित्रकला प्रतियोगिता के दौरान बच्चों के बीच पहुंचकर उनकी हौसला अफजाई भी की और उनकी भावाभिव्यक्ति को सराहा।
  
इस चित्रकला प्रतियोगिता में पौड़ी और चमोली जनपद के अलावा प्रदेश के ग्यारह जिलों के विभिन्न विद्यालयों से आए 78 विद्यार्थियों में दिव्यांग बच्चे भी शामिल थे। प्रतियोगिता के अंत में विजेता छात्रों को सभी वर्गों में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागी को राज्यपाल द्वारा पुरस्कार प्रदान किए।

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