दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिंजड़ा तोड़ कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल और देवांगना कालिता को उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों के मामले में जमानत दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को भी उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों के मामले में जमानत दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगा मामले के तीनों आरोपियों को अपने अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित न करने और सबूतों के साथ छेड़खानी न करने का निर्देश दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि इकबाल तन्हा, देवांगना कलीता और नताशा नरवाल को दिल्ली दंगा मामले में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ फरवरी 2020 में हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 200 लोग घायल हुए थे।
हाईकोर्ट ने इकबाल तन्हा को 13 से 26 जून तक के लिए पढ़ाई करने के लिए अंतरिम जमानत दी है। वह दिल्ली के एक होटल में रहकर अपने 15 जून से शुरू होने वाली परीक्षा की तैयारी करेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायामूर्ति सिद्दार्थ मृदुल एवं न्यायमूर्ति ए जे भाम्भनी की पीठ ने मार्च महीने में इकबाल तन्हा की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इकबाल तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर 2020 के उस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें निचली अदालत ने तन्हा को जमानत देने से मना कर दिया था।
निचली अदालत ने कहा था कि पुलिस के मुताबिक तन्हा का उत्तर पूर्वी में भड़के साम्प्रदायिक दंगों में तन्हा की भूमिका सामने आई है। वह इन दंगों के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल है। अदालत ने इसी को आधार बनाते हुए इकबाल तन्हा को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, हाईकोर्ट ने 4 जून को इकबाल को दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दे दी थी।