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बिहार चुनाव : 7 पूर्व मुख्यमंत्रियों के योद्धा चुनावी अखाड़े में

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पटना , शनिवार, 26 सितम्बर 2015 (19:31 IST)
पटना। बिहार विधानसभा के चुनावी समर में इस बार 7 पूर्व मुख्यमंत्रियों के योद्धा जोर आजमाते नजर आएंगे।
इस बार के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी  देवी, जन विकास मोर्चा के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, जनता दल राष्ट्रवादी के अध्यक्ष  एवं पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष  मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के योद्धा  अपने राजनीतिक भविष्य की तलाश में जोर आजमाइश करने में लगे हैं। 
 
मांझी को छोड़कर सभी पूर्व मुख्यमंत्री अपने योद्धा को उतारकर चुनावी रेस में अपनी उपस्थिति दर्ज  कराने में लगे हुए हैं।
 
पूर्व मंत्रियों में मांझी और सिंह ऐसे चेहरे हैं, जो बिहार के लिए भले ही जाने-पहचाने हैं लेकिन वे पहली  बार अपनी पार्टी को अखाड़े में लड़वाने निकले हैं। इन दोनों नेताओं की विधानसभा चुनाव में अग्निपरीक्षा  होगी। इन पर लोगों की नजरें टिकी हैं। मांझी 2 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। 
 
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मिश्र  के पुत्र एवं पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा और इसी गठबंधन के घटक हम से पूर्व मुख्यमंत्री मांझी के साथ ही  उनके पुत्र संतोष मांझी समेत कई दिग्गज चुनावी मैदान में हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री मिश्र चुनाव नहीं  लड़ रहे हैं। 
 
वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेतृत्व में बने महागठबंधन से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और  उनकी पत्नी राबड़ी के पुत्र तेजप्रताप यादव एवं तेजस्वी यादव पार्टी के टिकट से चुनावी दंगल में ताल  ठोंक रहे हैं।
 
इनके अलावा राजद के टिकट से कई सीटों पर उम्मीदवार ताल ठोंकते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि चारा  घोटाले के एक मामले में सजायाफ्ता होने के कारण राजद अध्यक्ष यादव स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे हैं  जबकि राबड़ी देवी विधान परिषद की सदस्य हैं और वे चुनाव नहीं लड़ रही हैं। 
 
पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह ने पहली बार जनता दल राष्ट्रवादी बनाकर अपने योद्धाओं को चुनाव  मैदान में उतारा है। उनकी पार्टी ने महागठबंधन और राजग के खिलाफ अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार  खड़े किए हैं। हालांकि सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। 
 
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपनी पार्टी सपा से खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन जदयू के  नेतृत्व में राजद-कांग्रेस महागठबंधन और भाजपा के नेतृत्व में राजग जैसे 2 ताकतवर गठबंधन के  खिलाफ 6 दलों का एक मजबूत तीसरा गठबंधन तैयार कर सभी 243 सीटों पर अपनी ताकत  आजमाइश में जुट गए हैं। उनकी पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में भी उतरी थी लेकिन कुछ खास नहीं कर सकी।
 
इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बसपा अपने दम पर चुनावी दंगल में ताल ठोंकने में लगी है। बसपा को अपने पहलवानों पर पूरा भरोसा है इसलिए पार्टी किसी से गठजोड़ किए बगैर ही सभी सीटों पर उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी में लगी है। बसपा सुप्रीमो भी स्वयं चुनाव मैदान में नहीं हैं।
 
पूर्व मुख्यमंत्रियों के चुनावी समर में योद्धा उतारने की घोषणा से विरोधी खेमे की मुश्किलें बढ़ गई हैं, ऐसे में यह देखना होगा कि मतदाता किस पूर्व मुख्यमंत्री के योद्धा को पसंद करते हैं। अब मतदाताओं के रुख पर ही उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य का फैसला हो सकेगा। (वार्ता)

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