Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बंगाल में भाजपा के 'मुस्लिम'

हमें फॉलो करें बंगाल में भाजपा के 'मुस्लिम'
, गुरुवार, 11 जनवरी 2018 (17:33 IST)
नई दिल्ली। मिशन 2019 में जुटी भाजपा देश के अन्य सारे राज्यों में जहां हिंदुत्व और जातिवाद की सवारी कर आगामी आम चुनावों में अन्य दलों को पीछे छोड़ने की जुगत में है, वहीं बंगाल के लिए इसका चुनावी रणनीति बिल्कुल अलग है। इस राज्य में मुस्लिम मतों की काफी बड़ी संख्‍या को देखते हुए भाजपा को बंगाल में अल्पसंख्यकों पर प्यार उमड़ रहा है। 
 
राज्य में वह भाजपा जो कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टी बताकर पानी पी-पी कर कोसती रही है, वही अब म‍ुस्लिमों को गले लगाने को बेकरार है। चुनावी राजनीति कहें या राजनीतिक मजबूरी लेकिन भाजपा आज बंगाल के मुस्लिमों को रिझाने में लगी हुई है। पार्टी कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क में अल्पसंख्यक सम्मेलन कर रही है। इसमें देशभक्त और राष्ट्रवादी मुस्लिम और उनके नेता और अनुयायी भाग लेंगे।   
 
पार्टी ने जहां भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष राशिद अंसारी को इस मौके के लिए सजा संवार कर तैयार किया है, वहीं पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष और वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को भी इस मोर्चे पर तैनात किया गया है। जब मुकुल रॉय टीएमसी में थे और कभी ममता बनर्जी के खास सिपहसालार थे, तब वे नारद-सारद घोटाले में फंसे कथित तौर पर भ्रष्ट नेता हुआ करते थे लेकिन भाजपा में शामिल होते ही वे साफ सुथरे हो गए हैं।   
 
राजनीतिक मजबूरी जो ना करवाए, वह कम है। विदित हो कि बंगाल में मुस्लिमों की तीस फीसदी की आबादी चुनाव जीतने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए पार्टी ने अब मुस्लिमों को रिझाने में वामदलों और ‍तृणमूल कांग्रेस को भी पीछे छोड़ने की शुरुआत कर दी है। राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों ने जहां ममता बनर्जी को जनेऊधारी पंडितों की शरण में जाने को मजबूर किया है तो भाजपा को अब महसूस होने लगा है कि बिना अवसरवाद के कहीं भी दाल नहीं गलने वाली सो पार्टी ने मुस्लिम वोट बैंक को ही अपनी झोली में डालने का फैसला किया है।  
 
राज्य में पार्टी को देर सवेर यह अहसास हो गया है कि बंगाल में मुस्लिम वोटों को लुभाए किसी भी स्तर का चुनाव जीत पाना उसके लिए असंभव है। इसलिए पार्टी को 'मरता क्या न करता' की रणनीत‍ि का दामन पकड़ना पड़ा है। बंगाल में भाजपा इस 'राजनीतिक अय्याशी' के साथ नहीं जी सकती है कि उसे मुस्लिम वोटों की जरूरत ही नहीं। खास तौर पर तब जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी अन्य दल मुस्लिमों को रिझाने में कोई कसर नहीं रखने वाले हैं। 
 
इसलिए भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा राज्य में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहा है। पार्टी जहां दो महीने पहले ही एक मुस्लिम सम्मेलन कर चुकी है वहीं दो माह बाद फिर उसे डोज की जरूरत महसूस होने लगी है। मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष राशिद अंसारी का कहना है कि बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने मुस्लिम मतों के बल पर राज किया। आज टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) सत्ता में हैं। लेकिन इन दलों ने मुस्लिमों की हालत को सुधारने के लिए कुछ भी नहीं किया।
 
राज्य में मुस्लिम, बेरोजगारी और गरीबी में जीने को मजबूर हैं। भाजपा एक ऐसी पार्टी है जोकि सबका साथ और सबका विकास के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उनका कहना है कि वे राज्य में मुस्लिमों को लेफ्ट, कांग्रेस और टीएमसी की सच्चाई से परिचित कराने और उन्हें गले लगाने के लिए कोलकाता आए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी भेदभाव के विकास कर रहे हैं। इस कारण से बंगाल में मुस्लिमों के दिल में बीजेपी ने जगह बनाई है जिससे पार्टी के सभी विरोधी दल बेचैन हैं।
 
वहीं बंगाल सरकार में मंत्री और टीएमसी नेता सदन पांडे ने कहा कि मुसलमान कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री खुद आरएसएस स्वयंसेवक हैं और उनका एकमात्र एजेंडा देश को धार्मिक और जातियों के आधार पर बांटना है। जबकि भाजपा का कहना है कि टीएमसी राज्य में अल्पसंख्यकों के एकमात्र संरक्षक होने का दावा नहीं कर सकती। पिछले छह वर्षों से टीएमसी ने मुस्लिम समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया। अंसारी ने यह भी कहा कि राज्य के पंचायत चुनाव में पार्टी निश्चित रूप से मुस्लिमों को चुनाव लड़ाएगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सोने में उछाल, चांदी भी चमकी