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दिल्ली हाईकोर्ट चिंतित, क्यों खेल रहे हैं ऐसा खेल...

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, गुरुवार, 17 अगस्त 2017 (14:13 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘ब्लू व्हेल’ चैलेंज खेलते हुए बच्चों के आत्महत्या कर लेने पर चिंता जाहिर की है। यह इंटरनेट पर खेला जाने वाला एक ऐसा आत्मघाती खेल है, जो दुनियाभर में कई बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है।
 
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि आखिर व्यस्क लोग ऐसा खेल क्यों खेल रहे हैं जिसमें 50 दिन की अवधि में खेल के संचालक (एडमिनिस्ट्रेटर) खेल खेलने वालों को उनके शरीर पर घाव करने जैसे खतरनाक टास्क देते हैं।
 
पीठ ने कहा कि वह समझ सकती है कि बच्चे प्रभावित हो रहे हैं लेकिन व्यस्क लोग क्यों इसमें शामिल हो रहे हैं? आगे पीठ ने कहा कि यदि किसी व्यस्क से कोई टास्क करने को कहा जाता है तो वह जाकर इमारत से कूद क्यों जाता है? हम इस बात पर हैरान हैं कि आखिर बच्चे और बड़े दोनों ऐसा कर क्यों रहे हैं? 
 
हालांकि उच्च न्यायालय ने याचिका के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं किया। याचिका में अनुरोध किया गया था कि अदालत गूगल, फेसबुक और याहू जैसी इंटरनेट कंपनियों से ब्लू व्हेल के लिंक हटाने के लिए कहे।
 
अदालत ने यह जानना चाहा कि क्या सरकार ने ब्लू व्हेल गेम डाउनलोड करने के बारे में कोई निषेधकारी आदेश जारी किए हैं? साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता वकील गुरमीत सिंह से यह भी पूछा कि क्या दिल्ली में ऐसी कोई घटना हुई है? उसने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या गुरुवार को कोई निषेधकारी आदेश जारी किया जा सकता है और मामले की सुनवाई 22 अगस्त को की जा सकती है? 
 
2 दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने इंटरनेट कंपनियों गूगल, फेसबुक, व्हॉट्सएप, इंस्टाग्राम, माइक्रोसॉफ्ट और याहू को निर्देश दिए थे कि वे उस घातक व्हेल चैलेंज के लिंक तत्काल हटा दें जिसकी वजह से भारत और अन्य देशों में कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली है। (भाषा)


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