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मृतक पर्यटकों के परिजन बोले- कभी सोचा नहीं कि पहाड़ों की सुंदरता के समीप जाने का शौक इतना दुखदायी होगा

हमें फॉलो करें मृतक पर्यटकों के परिजन बोले- कभी सोचा नहीं कि पहाड़ों की सुंदरता के समीप जाने का शौक इतना दुखदायी होगा

एन. पांडेय

, मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021 (22:55 IST)
बागेश्वर। पश्चिम बंगाल से आए ट्रेकर्स के स्वजन विश्वजीत दास, अभिजीत दास और अनूप मंडल ने बताया कि पहाड़ों की नैसर्गिकता को निहारकर उनके समीप जाने का शौक इतना दुखदायी भी हो सकता है, इस बात की तो उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। प्रकृति से शायद कोई जीत ही नहीं सका है।

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स्वजनों को अपनों को खोने की पीड़ा है। लेकिन शव मिलने के बाद मन में एक शांति यह है कि मन के भीतर उठ रहे ये सवाल अब नहीं हैं कि कहीं कोई इनमें जीवित तो नहीं? किसी सहायता की दरकार तो नहीं उनको। परिजनों ने बताया कि पांचों लोगों को ट्रैकिंग का बड़ा शौक था। साथ बैठकर हमेशा पहाड़ों की सुंदर वादियों की बात करते थे। सुन्दरढूंगा का प्लान कुछ ही माह पूर्व बना था।

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हालांकि पहले भी ये लोग पहाड़ों की सैर पर आते रहे हैं। मरने वालों में अधिकतर युवा हैं जिसका सभी को ताजिंदगी रंज रहेगा। प्रशासन ने भारी मशक्कत के बाद शवों को रेस्क्यू कर राहत की सांस ली है, इसके लिए सभी ने आभार जताया। मृतक पर्यटक पश्चिम बंगाल के थे। इनमें पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के बागवान निवासी सागर डे (27), चंद्रशेखर दास (32), सरित शेखर दास (35), नदिया राजघाट निवासी प्रीतम राय (27) और कोलकाता बिहाला निवासी सादान बसाक (63) शामिल थे।

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इस बात की मांग इस घटना के बाद से जोर-शोर से उठने लगी है कि पिंडर, कफनी ग्लेशियर और सुन्दरढूंगा घाटी जाने वाले ट्रैकरों का पंजीकरण होना बहुत जरूरी है। 2013 की घटना के बावजूद जिला प्रशासन कोई ठोस व्यवस्था नहीं कर सका है। मौसम अलर्ट की जानकारी ग्रामीणों तक नहीं पहुंची। सैटेलाइट फोन जो उपलब्ध थे भी, वे खराब थे।

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प्रशासन ने इसको लेकर ध्यान नहीं रखा, अब भविष्य में कड़े और बड़े कदम उठाने होंगे। बंगाली ट्रैकरों के के हताहत होने की सूचना पहले मिल गई थी। पिंडर घाटी के द्वाली में फंसे पर्यटकों के जीवन को बचाना भी बड़ी चुनौती थी। टीम ने कड़ी मेहनत की और यह चुनौतीपूर्ण काम था। डीएम विनीत कुमार के अनुसार अब इस घटना से सबक लेते हुए यात्रियों और पर्यटकों के पंजीकरण आदि व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन बेहतर व्यवस्था करेगा।

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बताया जा रहा है कि पर्यटकों की बर्फीली तूफान में फंसने से मौत 20 अक्टूबर को ही हो गई थी लेकिन उनके साथ गए गाइड खिलाफ सिंह दानू गए कहां, यह प्रश्न पहेली बना हुआ है। खिलाफ सिंह दानू अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति हैं। उन पर बच्चों की जिम्मेदारी है। वे कुशल ट्रेकर और गाइड हैं। उनके पास एक वॉकी-टॉकी भी रहता था। वे उससे लगभग 5 किमी के दायरे में स्वजनों से बातचीत करते रहते थे।

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लेकिन पिछले 7 दिनों से खिलाफ सिंह दानू की किसी से बात नहीं हुई है। अलबत्ता गाइड की सलामती के लिए स्वजन पूजा-अर्चना भी कर रहे हैं। खिलाफ सिंह दानू पुत्र शेर सिंह के 3 बच्चे हैं। उसका 6 वर्ष का बेटा और 9 और 13 वर्ष की 2 बेटियां हैं। उनके लापता होने के बाद बच्चे और पत्नी की देखभाल ताऊ आनंद सिंह कर रहे हैं।
 
ग्राम प्रधान बाछम मालती देवी ने सरकार से बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा आदि की व्यवस्था करने की मांग की है। एसडीएम कपकोट परितोष वर्मा ने कहा कि अभी खिलाफ सिंह दानू लापता हैं। उनकी खोजबीन चल रही है। आपदा अधिनियम के तहत परिवार को हरसंभव मदद की जाएगी।

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