Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

उपनाम बदलने से व्यक्ति की जाति नहीं बदलती: उच्च न्यायालय

Advertiesment
हमें फॉलो करें Bombay high court
मुंबई , रविवार, 29 मई 2016 (14:44 IST)
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने उस मेडिकल स्नातक को राहत प्रदान की है जिसे उचित जाति प्रमाण पत्र होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं दिया गया क्योंकि उसने अपना उपनाम बदल लिया था।
 
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसके पास जाति प्रमाणपत्र था और उसका ताल्लुक अनुसूचित जनजाति समुदाय से है, इसके बावजूद उसको स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं दिया गया और इसका यह आधार बताया गया कि उसने अपना उपनाम बदला है।
 
अदालत ने कहा कि अगर उपनाम बदला जाता है तो किसी व्यक्ति की जाति नहीं बदल जाती। याचिकाकर्ता की स्पष्ट दलील है कि उसने सरकारी राज पत्र के माध्यम से अपना अपना उपनाम बदला है।
 
उसने कहा कि अंतरिम राहत देते हुए हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि अगर याचिकाकर्ता के पास उचित प्रमाणपत्र और नाम में बदलाव के संदर्भ में सरकार का राजपत्र है तो आरक्षित श्रेणी के तहत उसके दावे पर विचार करे।
 
न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी और न्यायमूर्ति बार आर गवई कर अवकाश पीठ ने 23 मई को दिए अपने आदेश में सरकारी वकील से कहा कि वह इस आदेश के बारे में संबंधित कॉलेज प्रशासन को अवगत कराएं।
 
याचिकाकर्ता शांतुन हरि भारद्वाज ने एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद स्नातकोत्तर में दाखिले की मांग की थी, लेकिन अनुसचित जाति श्रेणी के तहत प्रवेश के उसके आवेदन को ठुकरा दिया गया था। उसकी दलील कि उनका ताल्लुक हिंदू-टोकरे कोली से है जो अनुसूचजित जनजाति के तहत आती है। उनका पहले का उप नाम ‘सपकाले’ था और 1999 में उन्होंने इसे बदलकर ‘भारद्वाज’ कर लिया था। (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यूपी में भाजपा का नारा : न अपराध, न भ्रष्टाचार, इस बार भाजपा सरकार