बेलगावी (कर्नाटक)। कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बेलगावी को लेकर दशकों पुराना सीमा विवाद फिर से भड़क गया है, क्योंकि दोनों राज्य सरकारें कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं। सोमवार को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस मामले के संबंध में कानूनी टीम के साथ समन्वय करने के लिए 2 मंत्रियों की तैनाती की।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि राज्य ने भी अपना मामला लड़ने के लिए मुकुल रोहतगी और श्याम दीवान सहित कई वकीलों की सेवाएं ली हैं। भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह विवाद 1960 के दशक का है। महाराष्ट्र भाषायी आधार पर बेलगावी पर दावा करता है, जो स्वतंत्रता के समय 'बॉम्बे प्रेसीडेंसी' का हिस्सा था। बेलगावी को पहले बेलगाम के नाम से जाना जाता था।
महाराष्ट्र की सीमा से लगे बेलगावी में मराठी भाषी लोगों की एक बड़ी आबादी है। दशकों से दोनों राज्यों के बीच बेलगावी विवाद का विषय रहा है। कर्नाटक कई बार कह चुका है कि सीमा मुद्दे पर महाजन आयोग की रिपोर्ट अंतिम है और कर्नाटक की सीमा का 1 इंच भी देने का कोई सवाल ही नहीं है।
बोम्मई ने इस सप्ताह कहा था कि सीमा विवाद महाराष्ट्र में सभी दलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक राजनीतिक हथियार है लेकिन वे कभी सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि गत वर्षों में महाराष्ट्र की याचिका को विचारयोग्य नहीं माना गया।
शिंदे ने पिछले दिनों कहा था कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे हमेशा बेलगाम को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की राज्य की मांग के समर्थक थे। हमने इस मुद्दे को सुलझाने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। जरूरत पड़ी तो वकीलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
कर्नाटक, बेंगलुरु के बाद बेलगावी को दूसरा बड़ा मुख्य शहर बनाना चाहता है। सरकार ने महाराष्ट्र की सीमा से लगे इस शहर में 'स्वर्ण विधान सौंध' का निर्माण किया और 2012 से राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र आयोजित किए। महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) और मराठी समर्थक समूह दशकों से इस क्षेत्र के बेलगावी और मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta