Bugyal conservation campaign: उत्तराखंड के चमोली जिले में पिंडर नदी के तट पर कुलसारी गांव से बुधवार को उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित घास के मैदानों यानी बुग्यालों को बचाने की मुहिम शुरू हुई। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के 12 से अधिक लोगों ने 5 दिवसीय अध्ययन यात्रा 'बुग्याल बचाओ' शुरू की जिसमें वे बुग्याल क्षेत्रों का अध्ययन करने के साथ ही बुग्यालों में बिखरे पड़े प्लास्टिक और पॉलीथीन का संग्रह कर अपने साथ वापस लाएंगे।
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उन्होंने कहा कि वन विभाग, स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों द्वारा इनके संरक्षण के लिए आवाज़ उठाई जा रही हैं। अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ क्षेत्रों में पर्यटन को नियंत्रित करने के कदम उठाए हैं जबकि बुग्याल संरक्षण के लिए नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने और स्थानीय समुदायों के सहयोग से इन्हें संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है।
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सी.पी. भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र के संरक्षक ओम भट्ट ने कहा कि बुग्यालों के पारिस्थितिकीय संतुलन को हाल के दशकों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें बुग्यालों में बढ़ती पर्यटन गतिविधियां, संरक्षण की परंपराओं की अनदेखी, बड़े पालतू जानवरों को बुग्यालों में अनियंत्रित छोड़ा जाना और जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक तापमान में वृद्धि शामिल है।
इस मौके पर मौजूद अन्य पर्यावरणविदों ने भी माना कि यदि जल्द ही इनकी सुरक्षा के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो बुग्यालों की प्राकृतिक स्थिति को बहाल करना मुश्किल हो सकता है। गोष्ठी के बाद 'बुग्याल बचाओ' दल के सदस्यों ने कुलसारी स्थित अम्बी स्मृति वन में पौधारोपण भी किया।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta