बुलंदशहर। यदि उत्तर प्रदेश पुलिस ने सक्रियता दिखाई होती तो संभवत: हाईवे पर हाल ही मां-बेटी के साथ हुई गैंगरेप की घटना हुई ही नहीं होती। दरअसल, इस घटना के 12 दिन पहले भी हाईवे के निकट उसी खेत में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी, लेकिन पुलिस ने तब इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दोस्तपुर इलाके में करीब 12 दिन पहले कुछ लोग टेंपो में एक महिला को अगवा करके लाए थे और फिर देर रात इन्हीं खेतों में उसके साथ गैंगरेप किया। वारदात की जानकारी मिलने के बाद गांव के प्रधान देवराज ठाकुर गांववालों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। गांववालों को देखकर आरोपी महिला को वहीं छोड़कर फरार हो गए।
ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने वहां से गुजर रही एक पुलिस की गाड़ी को रोका और वहां गिरे हुए आरोपियों के मोबाइल फोन और कुछ कपड़े दिए। पुलिस ने सामान तो ले लिया, लेकिन महिला को बाद में थाने बुलाया। लोगों के मुताबिक महिला को पुलिस की मदद की जरूरत थी।
लोगों का मानना है कि यदि उस समय पुलिस ने गंभीरता से कार्रवाई की होती तो संभवत: मां और बेटी के साथ यह वीभत्स हादसा नहीं होता। हालांकि इस मामले में पुलिस ने थोड़ी सक्रियता दिखाकर तीन लोगों को पकड़ लिया है, लेकिन यह तत्परता भी तब दिखाई गई, जब यह पूरा मामला मीडिया और राजनीतिक हलकों में छा गया।
उल्लेखनीय है कि मां-बेटी से मामले में चार वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया गया है। एसएसपी बुलंदशहर वैभव किशन, एसपी सिटी राममोहनसिंह, सर्कल ऑफिसर (सदर) हिमांशु गौरव और एसएचओ रामसेनसिंह (कोतवाली देहात) समेत कई पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है।