Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गढ़वाल हिमालय स्थित गंगोत्री मंदिर के खुल गए द्वार

Advertiesment
हमें फॉलो करें गढ़वाल हिमालय स्थित गंगोत्री मंदिर के खुल गए द्वार

एन. पांडेय

, मंगलवार, 3 मई 2022 (14:16 IST)
उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम में कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ आया। 
मंगलवार अक्षय तृतीया को विश्वप्रसिद्ध आस्था के धाम गंगोत्री में माँ गंगा के कपाट सुबह 11.15 बजे व यमुनोत्री में माँ यमुना के कपाट दिन के 12.15 बजे श्रद्धालुओं के लिए विधि विधान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिये गए हैं। आस्था के द्वार खुलते ही भारी मात्रा में मौजूद श्रद्धालुओं ने दोनों धामों के दर्शन किए।
 
शीतकाल के 6 महीनों मां गंगा जी की भोगमूर्ति गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले मुखवा गांव में स्थित गंगोत्री मंदिर में विराजमान रहती हैं। मुखवा को मां गंगा का मायका भी कहा जाता है।

ग्रीष्मकालीन के 6 महीनों के लिए मां गंगा जी की भोगमूर्ति एक भव्य उत्सव डोली में बैठकर हज़ारों श्रद्धालुओं के साथ गाजे बाजों व सेना की बैंड धुन के साथ गंगोत्री के लिए अक्षय तृतीया के एक दिन पहले गंगोत्री तीर्थ के लिए रवाना होती हैँ। इस दिन मां गंगा जी की यात्रा भैरों घाटी के भैरव मंदिर में विश्राम करती हैं।
 
अक्षय तृतीया को सुबह सवेरे को यात्रा और भव्य व विशाल जनसमूह के साथ अपने गंतव्य को निकाल पड़ती हैं। गंगोत्री पहुंचते पहुंचते यात्रा में हज़ारों श्रद्धालु शामिल हो जाते हैं। मां गंगा के जयकारों व उदघोष के ढोल नगाड़ों व सेना के बैंड की धुन  व शंखनादके साथ साथ समूची गंगोत्री घाटी व हिमालय गूंज उठता है। समूचा धार्मिक वातावरण अति शोभायमान हो जाता है।
 
webdunia
गंगोत्री पहुंचते ही मां गंगा के जयकारों के साथ गंगोत्री में वहाँ पहले से ही मौजूद हज़ारों श्रद्धालु मां गंगा जी की शोभा यात्रा की मां गंगा जी के जयकारों के साथ धूप अगरबत्ती फूल मालाओं से स्वागत करते हैं।
 
गंगोत्री मुख्य मंदिर में पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उत्सव डोली भव्य शोभायात्रा मां गंगा की बहती निर्मल, अविरल, दिव्य धारा में पूजा स्नान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना व मां गंगा की स्तुति की जाती है। इसी के साथ यात्रा जत्था मां गंगा जी के तट पर विराजमान भागीरथ शिला की पूजा की जाती है।
 
इन सबके बाद मुख्य गंगोत्री मंदिर प्रांगण में गँगा जी की भव्य स्तुति गान, पूजा, अनुष्ठान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया जाता है। पूजा समापन के साथ ही गंगोत्री मुख्य मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। यह सब विधि विधान के साथ आज भी हुआ। 

कपाट खुलने के पलों का हज़ारों श्रद्धालु साक्षात बनने की होड़ में रहते हैं। कपाट खुलते ही माँ गँगा जी की डोली व भोगमूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाती हैं।

गौरतलब है कि गंगोत्री मुख्य मंदिर में मां गंगा जी की विशाल शिला मूर्ति पहले से ही विराजमान रहती हैं। कपाट खुलने व कपाट बंद होने पर गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ जी की भोगमूर्ति ही अपने शीतकालीन मंदिरों में पूजी जाती हैं। स्थाई मूर्तियां तो अनादिकाल से इन्हीं चारों धामों में विराजमान हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चाचा शिवपाल का दर्द, बोले- हमने उसे चलना सिखाया और वो हमें रौंदते चला गया