नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया है कि उन्होंने बिहार में भाजपा से अलग होने का फैसला क्यों किया? उन्होंने कहा कि उन्होंने केन्द्र में भाजपा से 4 मंत्री पद मांगे थे, लेकिन उन्हें एक ही मंत्री पद दिया गया। यही कारण है कि उन्होंने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा नहीं है, हालांकि वे विपक्षी एकता के लिए भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। कुमार ने बिहार में नवगठित सरकार के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दुरुपयोग की आशंकाओं को हल्के में लिया लेकिन इतना जरूर कहा कि जिन लोगों को दुरुपयोग की आदत पड़ गई है, उन्हें जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा।
कृपया मुझसे ऐसे सवाल न पूछें : पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार के लोग उन्हें एक दिन प्रधानमंत्री के रूप में देख सकते हैं, कुमार ने हाथ जोड़कर कहा कि कृपया मुझसे इस तरह के सवाल न पूछें, मैंने कई बार कहा है कि मेरी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं अपने राज्य की सेवा करना चाहता हूं।
हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि बिखरे विपक्षी दलों के बीच एकता बनाने में उन्होंने अपने लिए क्या भूमिका देखी है तो उन्होंने कहा कि हमारी भूमिका सकारात्मक होगी। मेरे पास कई टेलीफोन कॉल आ रहे हैं। मेरी इच्छा है कि (भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के खिलाफ) सभी एक साथ आएं। आने वाले दिनों में आपको कुछ कदम नजर आएंगे।
नई सरकार पर ईडी और सीबीआई के डर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कोई डर नहीं है। एक बात याद रखें, भले ही (एजेंसियों के) दुरुपयोग की आदत बना ली गई हो, लेकिन ऐसा करने वाले लोगों पर लोगों की पैनी नजर रहेगी।
जदयू नेता से यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र गुजरात जाएंगे, कुमार ने कहा कि आपको इसके बारे में समय आने पर पता चल जाएगा। (भाषा/वेबदुनिया)