देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को कांग्रेस पार्टी ने बड़ा झटका देते हुए पार्टी के तमाम पदों से हटा दिया है। किशोर उपाध्याय के बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से लगातार मिल रहे थे।
कुछ दिनों पहले रात को किशोर उपाध्याय बीजेपी नेताओं से मुलाकात करने के लिए देहरादून के एक फ्लैट में पहुंचे थे। इसके बाद उनके बीजेपी ज्वाइन करने की खबरें भी उड़ने लगीं। हालांकि तब इसका कारण बताते हुए किशोर ने कहा था कि वनाधिकार के मुद्दे पर वे सभी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं।
पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने उनको लिखे गए अपने पत्र में कहा कि जब प्रदेश की जनता कांग्रेस को सत्ता में लाना चाहती है और बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस लड़ाई लड़ रही है तो इस लड़ाई को आप कमजोर कर रहे हैं, इसलिए अगले आदेश तक आपको तमाम पदों से हटाया जाता है।
पिछले दिनों किशोर उपाध्याय बीजेपी नेताओं से मिलते हुए पाए गए थे। इसके बाद से कांग्रेस में उनके खिलाफ खासी नाराजगी नजर आ रही थी।पार्टी के दिग्गज नेता हरीश रावत ने इस संबंध में अपनी अनभिज्ञता जाहिर की। हालांकि उन्होंने यह भी कहा की उनका भाजपा के नेताओं से मेल मिलाप करना भी दुर्भाग्यपूर्ण था।
धर्म संसद आयोजन समिति की बैठक : जब हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी तो हरिद्वार के शांभवी धाम में धर्मसंसद आयोजन समिति बैठक कर रही थी। इसमें 16 जनवरी को हरिद्वार के बैरागी कैंप में होने वाली प्रतिकार सभा की रूपरेखा बनाई जा रही थी।
बैठक के बाद जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि सरकार को तुरंत संतों पर हुए मुकदमे वापस लेने चाहिए। सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उसको इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ तो ये देश हिंदुओं का है।धर्म संसद में संतों ने सिर्फ हिंदुत्व की बात की थी। धर्मसंसद के आयोजक रहे स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि संतों पर मुकदमे दर्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने संतों पर मुकदमों को दर्ज करने के लिए माफी मांगने को कहा। आनंद स्वरूप ने कहा कि संत समाज मुकदमों से डरने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि संतों ने पहले भी हिन्दुत्व को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी और अब भी लड़ेंगे।
16 जनवरी को हरिद्वार के बैरागी कैंप में प्रस्तावित प्रतिकार सभा के अवसर पर सतचंडी यज्ञ का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया। इसके आयोजकों के अनुसार इस यज्ञ में हरिद्वार के समस्त संत और सभी अखाड़े शामिल होंगे और उत्तराखंड के सभी राष्ट्र प्रेमी हिन्दू प्रेमी लोग भाग लेंगे।