दशकों से दिल्ली में क़रीब 60 फ़ीसदी खुदरा शराब दुकानों के संचालन करने वाली दिल्ली सरकार मंगलवार रात से पूरी तरह से बाहर होने जा रही है। दिल्ली सरकार शराब के कारोबार से अब औपचारिक रूप से बाहर हो जाएगी। बुधवार से दिल्ली में नई आबकारी नीति के तहत शराब मिलेगी।
अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है। इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 ज़ोन में बाँटा गया है। हर ज़ोन में 27 शराब की दुकानें हैं, इन दुकानों का मालिकाना हक़ ज़ोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया है।
आवेदकों को लाइसेंस दिया जा चुका है, लेकिन नई आबकारी नीति के तहत पहले दिन से क़रीब 350 दुकानों के ही खुलने की संभावना है जबकि नई नीति के तहत 850 दुकानों को लाइलेंस दिया जाना था।
इस नए बदलाव की प्रक्रिया को जानने लोगों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक दिल्ली में शराब की उपलब्धता की कमी हो सकती है क्योंकि अभी तक दुकानों को प्रोविज़नल लाइसेंस ही दिए गए हैं।
हिन्दुस्तान टाइम्स से नाम ना छापने की शर्त पर एक शराब व्यापारी ने कहा कि जिन 350 दुकानों को लाइसेंस जारी किए गए हैं, उनमें से ज़्यादातर अब तक संचालन नहीं कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ''ज़्यादातर दुकानों में अब तक इंटीरियर का काम चल रहा है या फिर उनके पास स्टॉक अब तक नहीं पहुँचा है। ऐसे में नई आबकारी नीति का असर दिखने में कुछ सप्ताह लग जाएंगे।''
एक वरिष्ठ एक्साइज़ अधिकारी ने अख़बार से कहा, ''शराब की उपलब्धता कुछ वक़्त के लिए प्रभावित होगी, लेकिन इस तरह के बड़े बदलाव में ऐसा होता है।
थोक बाज़ार में अब तक लगभग 10 थोक लाइसेंसधारियों के साथ 200 से अधिक ब्रैंड पंजीकृत किए जा चुके हैं। इन लाइसेंसधारियों ने विभिन्न ब्रैंडों की 9 लाख लीटर शराब की शुरुआती ख़रीद के साथ परिचालन शुरू कर दिया है। नए बदलाव के साथ सब कुछ स्थिर होने में क़रीब दो महीने लगेंगे।''
मंगलवार को सरकार की ओर से संचालित शराब की दुकानों का आख़िरी दिन है।
इस साल की शुरुआत में नई आबकारी व्यवस्था को मंज़ूरी मिलने तक, दिल्ली में 849 शराब की दुकानें थीं, जिनमें से 60% दुकानों का संचालन सरकारी और 40% दुकानों का संचालन निजी हाथों में था।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन उनमें से अधिकांश दुकानों की सर्विस बेहद ख़राब थी। दुकानों पर लगे पारंपरिक लोहे की ग्रिल के कारण उपभोक्ताओं को ये दुकानें वॉक-एन एक्सपीरियंस देने में फेल हो रही थी। साथ ही इस नई नीति का उद्देश्य शराब माफियाओं पर नियंत्रण लगाना भी है।
दिल्ली में शराब के खुदरा दुकानों के सामने लोहे की ग्रिल नहीं होगी और ख़रीदारों को अपनी पसंद के ब्रैंड ख़ुद तलाशने का मौक़ा मिलेगा। ग्राहक कैमरे की निगरानी में शॉपिंग करेंगे। अब दुकानें पहले से बेहतर, बड़ी और एयरकंडीशन वाली होंगी।
दुकानों के खुलने का वक़्त सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक होगा जबकि हवाई अड्डे पर दुकानें चौबीसों घंटे खुल सकेंगी।
दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग कार्यालय ने सोमवार को नए लाइसेंसधारियों के साथ मिलकर काम किया ताकि आख़िरी मिनट में आ रही गड़बड़ियों को दूर किया जा सके। कुछ खुदरा लाइसेंसधारियों ने अपनी दुकानें पहले तैयार कर ली हैं और उन्होंने 11 नवंबर से शराब के भंडारण के लिए ऑर्डर देने शुरू कर दिए हैं।
एक अधिकारी ने अख़बार को जानकारी दी कि आबकारी विभाग ने सभी 32 ज़ोन के लिए लगभग 7,041 करोड़ रुपए का मूल्य तय किया गया था। लेकिन बोली लगाए जाने के बाद लगभग 8,917।59 करोड़ कमाए। इसके अलावा, उत्पाद शुल्क, आयात शुल्क, वैट और अन्य लाइसेंस शुल्क के ज़रिए विभाग की 650 करोड़ की और कमाई होगी।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों में शराब के कारोबार से औसत सालाना राजस्व लगभग 5,500 करोड़ रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुरुआती दिनों में शराब की क़ीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं, लेकिन वे जल्द ही स्थिर हो जाएंगी।
उन्होंने कहा, "शराब की क़ीमतें शुरुआती दिनों में थोड़ी महंगी हो सकती हैं, लेकिन आख़िरकार, क़ीमतें स्थिर हो ही जाएंगी। हम ये कह सकते हैं कि दिल्ली शराब की दरों को कम रखने और आकर्षक छूट देने के लिए गुरुग्राम के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करेगी जो अब तक संभव नहीं था।