नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े हत्या के एक मामले के आरोपी की जमानत बुधवार को मंजूर कर ली। अदालत ने आरोपी को इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखने का निर्देश दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने पिछले साल साम्प्रदायिक दंगों के दौरान 24 वर्षीय सलमान की हत्या के आरोपी इरशाद की जमानत याचिका मंजूर कर ली। यहां शिव विहार में दंगों के दौरान सलमान के सिर पर 24 फरवरी को गोली लगी थी।
पुलिस ने कहा कि इरशाद अपराध स्थल पर मौजूद था और दंगा कर रही भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। आरोपी ने इस आरोप से इंकार किया है। न्यायाधीश ने इरशाद को जमानत देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष प्रथमदृष्टया यह साबित करने में नाकाम रहा कि उसकी भूमिका सह आरोपी मोहम्मद फुरकान की तरह नहीं है, जिसे 15 जून, 2021 को जमानत दी गई थी।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, मेरा मानना है कि आवेदक समानता के आधार पर मामले में जमानत का हकदार है। न्यायाधीश ने आरोपी को 10,000 रुपए का निजी मुचलका और इतनी ही जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने इरशाद को सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने या किसी गवाह को प्रभावित नहीं करने, इलाके में शांति और सद्भाव बनाए रखने तथा कार्यवाही में शामिल होने के लिए पेश होने का भी निर्देश दिया। इससे पहले, इरशाद की 19 नवंबर, 2020 और आठ अप्रैल, 2021 को दो जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इरशाद हत्या के अलावा साजिश और दंगा करने के आरोपों का भी सामना कर रहा है। वह पिछले साल दो अप्रैल से न्यायिक हिरासत में था।
पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज चौधरी ने अदालत से कहा कि दंगाइयों की भीड़ ने सलमान पर इस आधार पर हमला किया था कि वह एक अलग समुदाय से था। अभियोजक ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में इरशाद को घटना के दिन घटनास्थल पर धार्मिक टोपी और नीले रंग का कुर्ता-पायजामा पहनकर धार्मिक भीड़ का नेतृत्व करते और दंगा गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा गया।
उन्होंने कहा कि कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) के अनुसार आरोपी अपराध स्थल या उसके पास पाया गया और एक चश्मदीद ने भी स्पष्ट रूप से उसकी पहचान की है। आरोपी के वकील अब्दुल गफ्फार ने अदालत से कहा कि इरशाद के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत उपलब्ध नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को सीसीटीवी फुटेज में न तो कोई बन्दूक ले जाते हुए देखा गया और न ही उसके पास से ऐसी कोई चीज बरामद हुई।
संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और इसके विरोधियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिनमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।(भाषा)