शिमला। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने विमुद्रीकरण के बाद लोगों के सामने उत्पन्न अनिश्चितताओं के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग की है।
सुश्री ओझा ने यहां कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विमुद्रीकरण आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग के छापों के दौरान जो दस्तावेज मिले हैं, उनसे मोदी की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। उनका इशारा बिड़ला और सहारा की डायरियों में कालेधन की प्राप्ति की ओर था। उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
महिला अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विमुद्रीकरण से देश में वित्तीय अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है और यह भारत के गरीब लोगों, किसानों, मजदूरों, दुकानदारों, छोटे व्यापारियों, मध्य वर्ग और पूरे संगठित क्षेत्र के खिलाफ एक सर्जिकल स्ट्राइक थी।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कि आठ नवम्बर को छियासी प्रतिशत करेंसी को समाप्त करके मोदी ने देश की निन्यानवें प्रतिशत ईमानदार और मेहनतकश जनता पर बुरी तरह प्रहार किया था जबकि देश के मात्र एक प्रतिशत लोगों के पास ही कालाधन है। विमुद्रीकरण के फैसले से देश के विकास की रफ्तार थम गई है और पूरा देश आर्थिक अराजकता की स्थिति में आ गया है।
सुश्री ओझा ने कहा कि 50 दिन की समय सीमा खत्म हो गई लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि नकदी निकालने के लिए सभी प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए और सभी खाताधारकों को 18 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से विशेष लाभ मिलना दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं मांग करती हूं कि डिजिटल लेन-देन पर लगने वाले सभी शुल्कों को तत्काल खत्म हों। केंद्र सरकार को विमुद्रीकरण से हुए नुकसान के लिए मुआवजा देना चाहिए।
ओझा ने कहा, विमुद्रीकरण के इन 50 दिनों में 115 से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है और प्रधानमंत्री को इनके परिजनों को मुआवजा देना चाहिए। उन्होने कहा कि विमुद्रीकरण से देश के हर वर्ग को नुकसान हुआ है।
कांग्रेस महिला अध्यक्ष ने कहा, सहारा डायरियों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मोदी के नाम है और इससे काफी समय पहले हवाला मामले में जैन डायरी में पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का नाम था तो उन्होंने अपने पद से तत्काल इस्तीफा दे दिया था। अब मोदी को अपने नेता का अनुसरण करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि पूरा देश इन आरोपों के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है और उनके भीतर अविश्वास भी है। (वार्ता)