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जिम्मी सेंटर पर वैज्ञानिक अध्ययन करने पहुंची उज्जैन की छात्राएं

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सरकारी पीजी कॉलेज उज्जैन से बीएससी की छात्राओं व उनके साथ आए स्टाफ ने वहां की प्रोफेसर डॉ एम.एस. लीना लखानी के नेतृत्व में जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर आकर सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) को देखा, अनुभव किया और समझा। कॉलेज से आए कुल 56 लोगों का समूह सेंटर के प्रशिक्षक एक आदिवासी जोड़े श्रीमती नंदा चौहान और श्री राजेंद्र चौहान के साथ जिम्मी मगिलिगन सेंटर परिसर में सोलर व पवन संचालित बिजली बनती, एक सोलर किचन में एक क्षण में जलता कागज देखा और 13 प्रकार के सोलर कुकरों की जानकारी ली। इसके अलावा सोलर ऊर्जा से खौलता हुआ पानी, सोलर लालटेन, सोलर फोन चार्जर, सोलर से बजते रेडियो के बीच सभी का अक्षय ऊर्जा से एक अद्भुत साक्षात्कार था।
 
इसके बाद उन्होंने पहली बार मात्र एक एकड़ में बने रासायनिक मुक्त दैनिक खेत में जाकर देखा कि जनक पलटा मगिलिगन कैसे अपने दैनिक जरूरतों के लिए जैविविधता पर निर्भर हैं। वे खेत में दाल, हरी सब्जियां, मसाले, अनाज आदि का उत्पादन कर उनका उपयोग करते हैं। 
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इसके अलावा बाथ-जेल व शैंपू के लिए एलोवेरा, वज्रांति, नीम, अरीठा, किडनीस्टोन के इलाज के लिए पौधे, हीलिंग फ्रैक्चर, मिंट, तुलसी, अंबाडी, आमला, अजवाइन आदि का उत्पादन भी इस परिसर में होता है। डॉ. जनक पलटा सोलर कुकर व सोलर ड्रायर से सब्जियां और फलों को प्रोसेस कर घर में पकवान, पीनट बटर, जाम, अचार, शरबत, पुअडिया से कॉफी बनाकर खाती व सभी को खिलाती हैं। छात्राओं और स्टाफ ने उनका अपनी गाय गौरी व उसके लिए बेहद लगाव भी देखा व जाना की दूध, घी, माखन, छाछ के साथ गोमूत्र व गोबर भी सोना उगलता है। 
 
इसके बाद सेंटर की निदेशिका डॉ श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन ने अपने जीवन के पिछले 32 साल में अपने पति के साथ सस्टेनेबल डेवलपमेंट व आत्मनिर्भरता पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि व दोनों न कॉलेज पढ़ने गए न यूनिवर्सिटी, लेकिन आदिवासी ग्रामीणों के बीच रहकर उनकी जरूतों को जान व  समझ कर पर्यावरण प्रेम व संवेदना सीखी, ज्ञान विज्ञान भी सीखा। हम सभी विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा और प्रशिक्षण दे रहे छात्रों और स्टाफ ने जीवनकाल में हुए इस खूबसूरत अनुभव की सराहना की।

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