महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हैरानी जताई कि क्या मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के संबंध में ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह केवल इसलिए उठाया जा रहा है, क्योंकि विजेता उनकी पार्टी शिवसेना का है। शिवसेना (यूबीटी) के अमोल कीर्तिकर को मात्र 48 मतों से हराने वाले शिवसेना के रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार द्वारा 4 जून को मतगणना के दौरान ईवीएम से जुड़े मोबाइल फोन का उपयोग करने की खबर से संबंधित प्रश्न के जवाब में शिंदे ने यह बात कही। राहुल गांधी ने भी ईवीएम पर सवाल उठाया था।
शिंदे ने पूछा कि केवल मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के परिणाम पर ही सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं, राज्य के किसी अन्य परिणाम पर क्यों नहीं? क्या इसका कारण यह है कि मेरे उम्मीदवार वायकर जीत गए और उनका उम्मीदवार हार गया?” नियमों के अनुसार, मतगणना केंद्रों पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है।
शिंदे ने कहा कि जनादेश वायकर के पक्ष में है। मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के प्रदर्शन की तुलना प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (यूबीटी) से करने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और सात सीटें जीतीं, जिसका “स्ट्राइक रेट 48 प्रतिशत रहा”। उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) ने 21 सीटों पर चुनाव लड़कर नौ सीटें जीतीं और उसका “स्ट्राइक रेट 42 प्रतिशत रहा”।
शिंदे ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने मुंबई में विपक्षी गुट महा विकास आघाडी (एमवीए) के उम्मीदवारों की तुलना में दो लाख अधिक वोट हासिल किए, जिसका हिस्सा शिवसेना (यूबीटी) भी है।
क्या कहा चुनाव आयोग ने: मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है, जिसमें किसी भी तरह की हेराफेरी से बचाने के लिए “मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय” हैं और इसे अनलॉक करने के लिए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की कोई आवश्यकता नहीं है। सूर्यवंशी ने कहा कि इस मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सक्षम अदालत से आदेश न मिल जाए।
सू्यवंशी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह प्रोग्राम करने योग्य नहीं है और इसमें बेतार संचार क्षमता नहीं है। यह एक अखबार द्वारा फैलाया जा रहा एक झूठ है। हमने मिड-डे अखबार को भारतीय दंड संहिता की धारा 499, 505 के तहत मानहानि और झूठी खबर फैलाने के लिए एक नोटिस जारी किया है।”
क्या बोली पुलिस : पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर पर 4 जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के दिन मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में बुधवार को एक मामला दर्ज किया गया। संवाददाता सम्मेलन में सूर्यवंशी ने कहा कि जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर दिनेश गुरव का निजी मोबाइल फोन एक अनधिकृत व्यक्ति के पास पाया गया और इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है।
मुंबई पुलिस का भी आया बयान : मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने भी खबर का खंडन किया और कहा कि वनराई पुलिस थाने के किसी भी अधिकारी ने ऐसी कोई सूचना (ईवीएम को अनलॉक करने के संबंध में ओटीपी जेनरेट करने के लिए मोबाइल फोन के इस्तेमाल की बात) नहीं दी है।
हेरफेर की आशंका : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि यह तथ्य कि रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार के पास निर्वाचन आयोग के अधिकारी के मोबाइल फोन तक पहुंच थी, चिंता का विषय है। क्रास्टो ने कहा कि निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा है कि ओटीपी केवल वोट की गिनती की प्रक्रिया के डेटा प्रविष्टि के लिए आवश्यक है, जिसका अर्थ है कि यह ओटीपी जेनरेट किये जाने से वायकर के रिश्तेदार को भी डेटा तक पहुंच मिल सकती है और उसमें उनके या उनकी टीम द्वारा हेरफेर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "यह बहुत गंभीर है। आयोग को यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि जब फोन वायकर की टीम के पास था, उस दौरान क्या हुआ था।
सभी दलों की बैठक बुलाएं : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम पर रोक लगायी जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि भारत के निर्वाचन आयोग को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिए और इस मुद्दे पर गहन चर्चा करनी चाहिए। चव्हाण ने कहा, "मोबाइल फोन के अनधिकृत इस्तेमाल की जांच होनी चाहिए। प्राथमिकी सार्वजनिक नहीं की गई है।"
मतपत्रों से हों चुनाव : कांग्रेस के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी एक बार फिर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए आगामी सभी चुनाव मतपत्रों के जरिए कराने की मांग की।
भाजपा ने कहा मुकदमा चलाना चाहिए : भाजपा ने इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा और मांग की कि निर्वाचन आयोग को उन सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए जिन्होंने खबर को साझा करके झूठ को बढ़ावा दिया।इनपुट भाषा