Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्या सचमुच बच्चों का तनाव दूर कर रहा है स्पिनर...

Advertiesment
हमें फॉलो करें क्या सचमुच बच्चों का तनाव दूर कर रहा है स्पिनर...
, रविवार, 3 सितम्बर 2017 (21:16 IST)
नई दिल्ली। मेट्रो, बस, पार्क या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर आजकल बच्चे या युवा एक पंखे जैसे ब्लेड वाला खिलौना दो उंगलियों के बीच घुमाते दिख जाएंगे। यह कोई नया खेल नहीं है, बल्कि स्ट्रेस या तनाव को कम करने का तरीका है और बाजार में इन दिनों तनाव कम करने वाला ‘खिलौना’ फिजिट स्पिनर खूब बिक भी रहा है।
 
बच्चों में तो फिजिट स्पिनर एक नया क्रेज बन चुका है। यह इतना ज्यादा लोकप्रिय हो चुका है कि मोबाइल फोन पर गेम खेलने या किसी अन्य गतिविधि के बजाय बच्चे फिजिट स्पिनर को उंगलियों से घुमाना अधिक पसंद कर रहे हैं। अभिभावकों को भी यह पसंद आ रहा है क्योंकि इसके जरिए वे अपने बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रख पा रहे हैं। 
 
दावा किया जा रहा है कि फिजिट स्पिनर घुमाने से एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम करने में मदद मिलती है। फिजिट स्पिनर तनाव दूर करता है या नहीं, यह शोध का विषय हो सकता है, लेकिन बच्चों में इसे खरीदने की होड़ लगी है। यह इसकी दीवानगी ही है कि आज बाजार में 100 से अधिक प्रकार के तरह-तरह के रंगों और डिजाइनों के प्लास्टिक तथा क्रोम मेटल के फिजिट स्पिनर धड़ल्ले से बिक रहे हैं। 
 
यही नहीं, तमाम ई-कामर्स वेबसाइटों पर भी इनके लिए जमकर ऑर्डर आ रहे हैं। साधारण प्लास्टिक के तीन ब्लेड के फिजिट स्पिनर का दाम 50 रुपए है। वहीं क्रोम मेटल के तीन से अधिक ब्लेड के अलग-अलग डिजाइनों वाले फिजिट स्पिनर की कीमत 200 रुपए से लेकर 1,000 रुपए तक है।
 
राजधानी के थोक बाजार कन्फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स के महासचिव देवराज बवेजा कहते हैं कि सारा मामला मांग का है। कभी यह स्पिनर विदेशों में खूब चला था और आज देश में भी यह फैशन बन गया है। बवेजा का कहना है कि सदर बाजार में अन्य राज्यों से आने वाले लोग भी बेचने के लिए थोक में फिजिट स्पिनर खरीदकर ले जा रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि महानगरों के बाद अब छोटे शहरों में भी यह लोकप्रिय हो रहा है।
 
जहां तक इसे तनाव दूर होने की बात है, इस बारे में राजधानी के आर एन कालरा अस्पताल के चेयरमैन डॉ. आर एन कालरा मानते हैं कि यह कंपनियों द्वारा अपने उत्पाद को बेचने का ‘गिमिक’ मात्र है। डॉ कालरा ने कहा कि किसी बच्चे को अगर तनाव है भी, तो इसका सबसे बेहतर तरीका माता-पिता और शिक्षकों द्वारा बच्चों की काउंसलिंग है। 
 
डॉ कालरा कहते हैं कि आज सोशल मीडिया की वजह से बच्चों तक हर चीज पहुंच जाती है। एक बच्चे के पास यदि कोई खिलौना है तो दूसरे बच्चे भी उसके लिए जिद करते हैं। यह बच्चों की प्रवृत्ति होती है। कुमार टॉयज के अनुराग कुमार कहते हैं कि इस समय वह सबसे अधिक फिजिट स्पिनर ही बेच रहे हैं। एक दिन में वह 50-60 तक स्पिनर बेच देते हैं। बच्चे रोजाना नए तरीके के फिजिट स्पिनर की मांग करते हैं। 
 
कुमार का कहना है कि कुछ युवा भी इसे खरीद रहे हैं, लेकिन जहां तक मांग की बात है तो बच्चों में तो इसको खरीदने की होड़ है। उन्होंने कहा कि सामान्य तीन ब्लेड के फिजिट स्पिनर के बाद अब तो चार, पांच या आठ ब्लेड के स्पिनर भी आ चुके हैं। साथ ही कैप्टन अमेरिका, स्पाइडरमैन आदि किरदारों के अलावा डॉलर के आकार का फिजिट स्पिनर भी बाजार में खूब आ रहा है। बार्बी डॉल के कलर के अलावा आठ ब्लेड तक का भी फिजिट स्पिनर बाजार में आ चुका है।
 
सदर बाजार के कारोबारियों का कहना है कि ज्यादातर फिजिट स्पिनर चीन से आयातित हैं। देश में अभी इनका अधिक विनिर्माण नहीं हो रहा है। इस बारे में सातवीं कक्षा के एक बच्चे इशांश का कहना है कि इसे घुमाने से उसका तनाव कम होता है। इशांश ने कहा कि वह कलेक्शन के लिए कई तरह के फिजिट स्पिनर खरीद चुका है।
 
एक निजी स्कूल की शिक्षिक शैली चावला बताती हैं कि अक्सर स्कूली बच्चे फिजिट स्पिनर से खेलते देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षिकाओं के साथ साथ यह अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि वे यह ध्यान रखें कि कहीं बच्चों में खेल-खेल के नाम पर यह ‘एडिक्शन’ तो नहीं बनता जा रहा है। 
 
आईटी कंपनी में काम करने वाले प्रवीण कहते हैं कि वह अपने दफ्तर में खाली समय में इस स्पिनर को घुमाते हैं। इससे निश्चित रूप से अन्य चीजों से उनका ध्यान हटता है और तनाव कम होता है। (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लखनऊ में 5 सितंबर से मेट्रो की शुरुआत