देहरादून।केदार मंदिर में आने से रोक दिए जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सोनप्रयाग के निकट प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर पहुंचे।उन्होंने वहां पूजा-अर्चना की और कहा कि देवस्थानम बोर्ड अब तक का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है।
उन्होंने कहा कि आज भले ही कुछ लोग जानबूझकर इसका विरोध कर रहे हों, लेकिन आने वाले 10 साल बाद सभी को उसकी अहमियत पता लगेगी और यही लोग आगे आकर इसका समर्थन करेंगे, इसकी तारीफ करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का काम अपने अतिथियों को सुविधाएं देना होता है।
उन्होंने कहा कि अतिथि देवो भव: को सर्वोपरि मानते हुए ही देवस्थानम की नींव रखी गई, ताकि यहां से जाने के बाद यात्री यहां की व्यवस्थाओं का गुणगान हर जगह करें और देवभूमि में तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहे, इसी उद्देश्य को लेकर ही इसका गठन किया गया है।
सोनप्रयाग के निकट ही प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। प्राचीनकाल से ही यहां अखंड धुनी जलती रहती है। इसका शिल्प भी श्री केदारनाथ जी की ही तरह कत्यूरी शैली का है।