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घाटकोपर विस्फोट मामला, मुंबई के पुलिस आयुक्त के खिलाफ अवमानना याचिका दायर

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, मंगलवार, 23 जून 2020 (15:13 IST)
मुंबई। मुंबई के घाटकोपर विस्फोट मामले के संदिग्ध ख्वाजा यूनुस की कथित तौर पर हिरासत में मौत के मामले आरोपी 4 पुलिसकर्मियों की नौकरी बहाल करने के मामले में मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की गई है।
 
ख्वाजा यूनुस की मां आसिया बेगम ने सोमवार को याचिका दायर करते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों की बहाली जान-बूझकर की गई अवज्ञा और अदालत के अप्रैल 2014 के निर्देशों तथा आदेशों की अवहेलना है। आसिया बेगम का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई ने रखा।
 
याचिका ने कहा गया कि 2004 में दिए आदेश में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 4 पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का आदेश दिया था, क्योंकि प्रथम दृष्टया उनके अपराध में शामिल होने के संकेत मिले थे।
 
सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वजे और कांस्टेबल राजेंद्र तिवारी, सुनील देसाई और राजाराम निकम के खिलाफ अभी कई आरोपों के तहत मामला चल रहा है जिनमें 2003 में ख्वाजा यूनुस की कथित हिरासत में हत्या के मामले में हत्या और सबूत नष्ट करना शामिल है।
 
पुलिस प्रमुख की अध्यक्षता में इस माह की शुरुआत में समीक्षा समिति ने उन्हें पुलिस बल में बहाल करने का आदेश दिया जबकि प्रारंभिक विभागीय जांच और न्यायिक परीक्षण लंबित हैं। आसिया बेगम ने याचिका में कहा कि अभी तक इन 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ न कोई विभागीय जांच शुरू की गई और न ही कोई रिपोर्ट सौंपी गई।
 
याचिका के अनुसार चारों पुलिसकर्मी 2003-2004 से निलंबित हैं और वजे तो 2008 में अपना इस्तीफा सौंप शिवसेना में शामिल हो गया था। याचिका में कहा गया कि 2019 में शिवसेना के महाराष्ट्र में सत्ता में आने के बाद जून 2020 में समीक्षा समिति ने निलंबन के आदेश की समीक्षा की और उनकी बहाली का सुझाव दिया।
 
याचिका में मुंबई पुलिस प्रमुख के अलावा राज्य गृह विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ गुप्ता के खिलाफ भी अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है। याचिका में अदालत से राज्य सरकार और पुलिस को 5 जून 2020 के उनकी बहाली के आदेश को वापस लेने और चारों को निलंबित रखने की भी मांग की गई है।
 
यूनुस (27) को 25 दिसंबर 2002 को उपनगरीय घाटकोपर में 2 दिसंबर को हुए एक विस्फोट के सिलसिले में आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) (जो अब निरस्त हो चुका है) के तहत 3 अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। (भाषा)

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