इंदौर। फर्जी फर्मों के जरिए करीब 34 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले के सह आरोपी को बृहस्पतिवार को अदालत ने चार दिन के लिए केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग की हिरासत में भेज दिया।
सीजीएसटी विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों से जुड़े फर्जीवाड़े के इस मामले में मेहुल खिरैया (40) को बुधवार शाम मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। इंदौर लाए जाने के बाद उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया।
उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की गुहार पर अदालत ने खिरैया को 14 जनवरी तक सीजीएसटी विभाग की हिरासत में भेज दिया। अंतर प्रांतीय फर्जीवाड़े की कड़ियां जोड़ने के लिए उससे विस्तृत पूछताछ की जा रही है। अधिकारी ने बताया कि मुंबई के ही रहने वाले जगदीश धीरजलाल कनानी (59) को मामले में पहले ही पकड़ा जा चुका है। वह न्यायिक हिरासत के तहत इंदौर की एक जेल में बंद है।
अधिकारी के मुताबिक जीएसटी प्रणाली लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद सामने आई अंतरप्रांतीय धांधली को बोगस कारोबार, फर्जी इनवॉयस और जाली ई-वे बिलों के बूते अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया, 'अब तक की जांच और पूछताछ में ऐसी 42 फर्मों के बारे में पता चला है, जिन्हें कनानी और खिरैया ने मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में जीएसटी प्रणाली के तहत फर्जी तरीके से पंजीकृत कराया। इस पंजीकरण के लिए खासकर गरीब तबके के लोगों को धन का लालच देकर उनकी पहचान और पते के दस्तावेजों का दुरुपयोग किया गया।'
अधिकारी ने बताया कि बताया कि आरोपियों ने फर्जी फर्मों के जरिए धातुओं के कबाड़ और अन्य वस्तुओं का लगभग 190 करोड़ रुपए का कागजी कारोबार दिखाया। इस कारोबार पर 18 प्रतिशत की दर से करीब 34 करोड़ रुपए की जीएसटी अदायगी बनती थी, लेकिन यह कर सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और फर्जीवाड़े के जरिए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के बाद कई संबंधित फर्मों को बंद कर दिया गया। (भाषा)