नई दिल्ली। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहाई के सरकार के फैसले ने सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने इस मामले में न सिर्फ केन्द्र सरकार बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी तीखा तंज किया है।
दरअसल, आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने दोषी कैदियों की रिहाई के लिए जून में एक विशेष नीति का प्रस्ताव करते हुए राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि बलात्कार के दोषी कैदी उस सूची में शामिल नहीं थे, जिन्हें इस नीति के तहत रिहाई दी जानी थी।
बिलकिस के पति को डर : दूसरी ओर, बिलकिस बानो के पति ने मीडिया से कहा कि यह दुखद है। हमने सब कुछ गंवा दिया। इन लोगों की रिहाई से हमारा डर और बढ़ गया है।
कांग्रेस का तंज : कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने नरेन्द्र मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमने यह भी देखा कि बलात्कार के जो अभियुक्त रिहा किए गए, उनकी आरती उतारी जा रही है, तिलक लगाया जा रहा है। क्या यही है अमृत महोत्सव।
कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि असली नरेंद्र मोदी कौन हैं? जो लालकिले की प्राचीर से झूठ परोसते हैं या फिर वो जो अपनी गुजरात सरकार से बलात्कार के अभियुक्तों को रिहा करवाते हैं। यह कांग्रेस पार्टी और देश जानना चाहता है।
कांग्रेस ने कहा कि लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने नारी सुरक्षा, नारी शक्ति, नारी सम्मान पर बड़ी-बड़ी बातें की थीं। कुछ घंटों के बाद गुजरात सरकार ने बलात्कार के अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया। प्रधानमंत्री देश को बताएं कि लालकिले की प्राचीर से जो उन्होंने कहा था क्या वे शब्द मात्र थे, उनकी बात पर उन्हें खुद भरोसा नहीं था।
3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला कर दिया था। 21 वर्षीय बिलकिस उस समय गर्भवती थी। उस समय बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया एवं उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई।
15 अगस्त को इन्हें किया गया रिहा : 15 अगस्त को माफी नीति के तहत जसवंत नाई, गोविंद, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को रिहा किया गया।
उम्रकैद की सुनाई थी सजा : 2008 में मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस सजा को जारी रखा था। सभी दोषी 15 साल से अधिक समय तक सजा काट चुके थे। इस आधार पर इनमें से एक अभियुक्त राधेश्याम शाह ने सजा में छूट के लिए अपील की थी।