मुंबई। maharashtra political crisis : शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने पिछले साल जिस प्रकार नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, उसी प्रकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (eknath shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) को अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।
राज्य में पिछले साल शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फेंस की। इसमें, ठाकरे ने उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए बुलाने को लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना की।
ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए जैसा मैंने किया था।
ठाकरे ने कहा कि 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर को सुनील प्रभु को उनकी शिवसेना का सचेतक मानना ही होगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल द्वारा पिछले साल 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना सही नहीं था।
हालांकि न्यायालय ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और संबंधित राजनीतिक संकट से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में सर्वसम्मति से कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अवैध था।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किये बिना ही इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया।
पीठ में न्यायमूर्ति एमआर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे। Edited By : Sudhir Sharma