चेन्नई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास में एक शोधार्थी ने अपने साथी पर करीब चार वर्षों तक बार-बार उसका यौन शोषण करने और कार्यस्थल पर उसका उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। उसका आरोप है कि इन साथियों में उसके दो प्रोफेसर भी शामिल हैं। उसने 2016 में संस्थान में दाखिला लिया था।
उसने दावा किया कि संस्थान के पुरुषों के एक समूह ने और कुर्ग की यात्रा के दौरान भी उसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया। इसके अलावा शोधार्थी को उसके शोध पर काम करने के लिए प्रयोगशाला के उपकरण का इस्तेमाल करने से भी रोका गया। पुलिस ने एक मामला भी दर्ज किया है और प्राथमिकी में 8 लोगों को नामजद किया है।
शुरुआत में शोधार्थी चुप रही लेकिन बाद में वह इस सदमे से बाहर आई और यौन शोषण के खिलाफ आंतरिक शिकायत समिति (सीसीएएसएच) को शिकायत करने का साहस जुटाया, जिसने अपनी अंतरिम सिफारिश में मुख्य आरोपी समेत 3 साथी शोधार्थियों को तब तक परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया, जब तक कि वह अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर लेती।
समिति ने शोधार्थी के शोध पत्र जमा करने तक जांच स्थगित करते हुए कहा कि आगे गाइड्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिवादी तब तक अपना शोध पत्र जमा न कराए जब तक कि शोधार्थी (पीड़ित) अपना शोध पत्र जमा नहीं करा देती।
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए), तमिलनाडु की अध्यक्ष एस. वेलेंटिना और महासचिव पी. सुगंति ने कहा कि पीड़िता अनुसूचित जाति समुदाय से है। उन्होंने पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की भी मांग की। महिला शोधार्थी के आरोपों पर आईआईटी मद्रास ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है।