नई दिल्ली। पंजाब में इस साल पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं दर्ज की गईं और पिछले साल के मुकाबले इनमें 46.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने यह जानकारी दी। हालांकि हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 28.6 प्रतिशत की कमी देखी गई।
हर साल सर्दियों की शुरुआत में पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाई जाती है जिसके कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। सीपीसीबी की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 2020 में 21 सितंबर से 22 नवंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की कुल 76,537 घटनाएं सामने आईं, जबकि इसी अवधि में पिछले साल यह संख्या 52,225 थी।
सीपीसीबी ने कहा, 2019 के मुकाबले 2020 में पराली जलाने की घटनाओं में 46.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में पंजाब के संगरूर, बठिंडा और फिरोजपुर में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई। इस साल मोगा, अमृतसर, फाजिल्का और लुधियाना जैसे जिलों में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की 75 प्रतिशत अधिक घटनाएं दर्ज की गईं।
सीपीसीबी ने कहा, 2020 में शहीद भगत सिंह नगर को छोड़कर पंजाब के सभी जिलों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई। बोर्ड ने कहा कि इससे पता चलता है कि जमीनी स्तर पर केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से नहीं किया गया।
हरियाणा में 2020 में 25 सितंबर से 22 नवंबर के बीच पराली जलाने की 4,675 घटनाएं दर्ज की गईं। पिछले साल इस दौरान 6,551 घटनाएं दर्ज की गई थीं। सीपीसीबी ने कहा, केंद्र सरकार की योजनाओं के सहयोग से 2019 के मुकाबले 2020 में पराली जलाने की घटनाओं में 28.6 प्रतिशत की कमी आई।
सीपीसीबी ने कहा कि वर्ष 2020 में भी फतेहाबाद, कैथल और करनाल जैसे जिलों में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं हुईं, हालांकि वर्ष 2019 के मुकाबले इनमें 40 फीसदी की कमी दर्ज की गई।(भाषा)