इंदौर। तन्नू नाम की लड़की विवाह के हसीन सपनों में खोई हुई थी और अपने सपनों के राजकुमार से होने जा रही शादी को लेकर रोमांच से भरी जा रही थी कि अचानक ऐसा हो गया, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। शादी के ऐन मौके पर 'खलनायक' की तरह सरकारी लवाजमा लड़की के घर पहुंच गया और उसने कानून का हवाला देकर इस शादी को रुकवा दिया। असल में तन्नू की उम्र आड़े आ गई क्योंकि उसे बालिग होने (18 साल) में केवल 10 दिन का समय बाकी था।
तन्नू की शादी को लेकर घर में शहनाईयां बज रही थी और सभी लोग खुश थे। 17 अप्रैल का विवाह तय था। पत्रिका छप गई थी, सबको न्योता भेजा जा चुका था। मेहमान भी पहुंच गए थे और शादी को लेकर होने वाली तमाम तैयारियां पूरी हो चुकी थीं लेकिन 16 अप्रैल को रंग में भंग पड़ गया क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे 'लाडो अभियान का उड़न दस्ता तन्नू के घर पहुंच चुका था।
'लाडो अभियान के उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक के अनुसार उन्हें शिकायत मिली थी कि बाल विवाह होने जा रहा है। इस शिकायत पर प्रशासन का अमला सांवेर रोड़ के शिवनगर स्थित तन्नू के घर पहुंचा तो वहां शादी की तैयारियां चल रहीं थीं। उड़नदस्ते के दल ने जब पूछताछ की तो लड़की के माता-पिता ने दावा किया कि उनकी बेटी बालिग है लेकिन आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि के मुताबिक उसकी उम्र 18 साल से 10 दिन कम निकली।
पाठक ने बताया कि प्रशासन के दल ने जब सख्त कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दी, तो लड़की के परिजन उसका विवाह रोकने को राजी हो गए। लड़की के माता-पिता बाकायदा हलफनामा लिया गया कि वे अपनी संतान को तब तक शादी के बंधन में नहीं बांधेंगे, जब तक वह पूरे 18 साल की नहीं हो जाती।
उन्होंने बताया कि इस लड़की की शादी नजदीकी धार जिले के रामनिवास से होने वाली थी। लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के संदेह पर उसकी बारात की रवानगी भी रुकवा दी गई। देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है, जो कानूनन अपराध है। (वेबदुनिया/भाषा)