इंदौर-पटना एक्सप्रेस के 14 डिब्बे आज सुबह कानपुर के पास बेपटरी होने से उसमें सवार 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और करीब 200 लोग घायल हो गए। कहा जाता है 'जाको राखे साईयांं मार सके न कोय'। ऐसा ही कुछ हुआ ट्रेन में सवार संतोष उपाध्याय के साथ।
संतोष ट्रेन के एस-2 कोच में सवार थे। रास्ते में एक महिला यात्री उनके पास आई और कहा कि उनकी एक सीट एस-2 और दूसरी एस-5 में हैं। महिला ने उनसे सीट बदलने का आग्रह किया।
संतोष अकेले ही ट्रेन में सफर कर रहे थे अत: उन्होंने मदद के इरादे से महिला को एस-2 वाली सीट दे दी और स्वयं एस-5 में चले गए। कुछ ही समय बाद यह हादसा हो गया और सबसे ज्यादा प्रभावित भी एस-1, एस-2 और एस-3 कोच ही हुए।
हादसे के बाद जब संतोष ने एस-2 कोच में जाकर देखा तो वह महिला, जिसकी उन्होंने मदद की थी और उसके साथी की मौत हो चुकी थी।