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Israel Iran : US से बात करना बेमतलब, ईरान का परमाणु बातचीत से इनकार, जंग के हालातों के बीच हिजबुल्ला क्यों हुआ दूर

ईरान के इस बयान से दोनों देशों के बीच रविवार को ओमान में होने वाली बातचीत पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं।

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हमें फॉलो करें Tension increased between Israel and Iran

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

दुबई , शनिवार, 14 जून 2025 (21:35 IST)
Israel Attack on Iran :  इजराइल के हमलों के बाद परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका  और ईरान के बीच आगे की बातचीत पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। अमेरिका और ईरान के बीच रविवार को ओमान में बैठक प्रस्तावित है। ईरान के वरिष्ठ मंत्री ने शनिवार को कहा कि देश पर इजराइली हमलों के बाद अमेरिका के साथ आगामी परमाणु वार्ता ‘निरर्थक’ है। उनके इस बयान से दोनों देशों के बीच रविवार को ओमान में होने वाली बातचीत पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। 
जंग जैसे हालात
ईरान-इजराइल के बीच जंग जैसे हालात है, जो और तेज होने की आशंका है। इजराइ ल ने ईरान पर फिर एयरस्ट्राइक कर दी है। इजराइल ने दक्षिण ईरान में हमला किया है। खबरों के मुताबिक इजराइल ने दक्षिण ईरान के बुशहर में स्थित नैचुरल गैस रिफाइनरी के पास हमला किया। हमले के बाद रिफाइनरी के पास से धुएं का गुबार उठता नजर आया है। धमाके के बाद आसपास में अफरा-तफरी मच गई।  इजराइल की सेना ने शनिवार शाम चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ईरान आज रात फिर से इजराइल पर मिसाइल हमला करेगा। इजराइल डिफेंस फोर्स की इस चेतावनी के बाद लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है। 
 
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची की यह टिप्पणी यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक काजा कालास के साथ फोन पर बातचीत के बाद आई है। उन्होंने हालांकि, यह कहने से परहेज किया कि वार्ता रद्द कर दी गई है। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ की खबर के मुताबिक, विदेश मंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘इजराइली हवाई हमले वाशिंगटन के प्रत्यक्ष समर्थन का परिणाम थे। अमेरिका ने कहा है कि वह इस हमले में शामिल नहीं है।
 
इससे पहले दिन में, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि देश पर इजराइली हमलों के बाद अमेरिका के साथ आगामी परमाणु वार्ता ‘‘निरर्थक’’ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने कहा कि अमेरिका ने ऐसा काम किया है कि बातचीत का कोई अर्थ नहीं बचा। उन्होंने कहा कि इजराइल ने अपने हमलों के ज़रिए ‘आपराधिक कृत्य’ करके  सभी लक्ष्मण रेखाएं पार कर दी हैं।
 
लड़ाई से क्यों बाहर है हिजबुल्ला
हिजबुल्ला को लंबे समय से इजराइल के साथ युद्ध की स्थिति में ईरान की पहली रक्षा पंक्ति माना जाता रहा है। लेकिन, इस सप्ताह जब से इजराइल ने ईरान के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमला शुरू किया है, तब से ये लेबनानी चरमपंथी समूह इस लड़ाई से बाहर है। इराक में ईरान समर्थित शक्तिशाली मिलिशिया का नेटवर्क भी शांत नजर आ रहा है जबकि इजराइल ने हमलों को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर इराक के हवाई क्षेत्र का भी इस्तेमाल किया है।
घरेलू राजनीतिक चिंताओं तथा लगभग दो वर्षों के क्षेत्रीय संघर्षों और उथल-पुथल में हुई भारी क्षति के कारण, ऐसा प्रतीत होता है कि ईरान के इन सहयोगियों ने नवीनतम संघर्ष में दूरी बनाना शुरू कर दिया है।
 
हिजबुल्ला का गठन 1980 के दशक के प्रारंभ में ईरान के समर्थन से एक गुरिल्ला बल के रूप में हुआ था जो उस समय दक्षिणी लेबनान पर इजराइल के कब्जे के खिलाफ लड़ रहा था।
 
इस चरमपंथी समूह ने इजराइल को लेबनान से बाहर निकालने में मदद की और आगामी दशकों में अपने शस्त्रागार का निर्माण किया, जिससे यह एक शक्तिशाली क्षेत्रीय ताकत बन गया और ईरान समर्थित गुटों के समूह का केंद्रबिंदु बनकर उभरा। ईरान समर्थित सहयोगियों में इराकी शिया मिलिशिया, यमन के हूती विद्रोही और फलस्तीनी उग्रवादी समूह हमास भी शामिल है।
 
दक्षिणी इजराइल पर सात अक्टूबर 2023 को फलस्तीनी उग्रवादियों के हमले और गाजा में इजराइल की जवाबी कार्रवाई के बाद अपने सहयोगी हमास की सहायता करते हुए हिजबुल्ला ने सीमा पार से रॉकेट दागना शुरू किया था।
 
इसके अलावा, इराकी मिलिशिया कभी-कभी इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों के ठिकानों को निशाना बनाता रहा है, जबकि यमन के हूती लड़ाकों ने एक महत्वपूर्ण वैश्विक व्यापार मार्ग लाल सागर में जहाजों पर गोलीबारी करके इजराइल को निशाना बनाना शुरू किया।
 
हिजबुल्ला और उसके नेता नईम कासिम ने इजराइल के हमलों की निंदा की और हमले में वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों की मौत पर शोक जताया। लेकिन कासिम ने यह नहीं कहा कि हिजबुल्ला इजराइल के खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई में भाग लेगा।
 
इराकी मिलिशिया ने भी एक बयान जारी कर इजराइल के ईरान पर हमले की निंदा की। साथ ही ईरान पर हमले के लिए कथित तौर पर इराक के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने के मद्देनजर इराक सरकार से ‘‘देश से शत्रुतापूर्ण ताकतों को तत्काल बाहर निकालने’ का आह्वान किया।
 
हालाकि, इराकी मिलिशिया ने ईरान-इजराइल संघर्ष में किसी भी तरह से शामिल होने का कोई संकेत नहीं दिया है। किंग्स कॉलेज लंदन के एसोसिएट प्रोफेसर और सैन्य विश्लेषक एंड्रियास क्रेग ने कहा, ‘‘सीरिया में आपूर्ति श्रृंखलाओं से कट जाने के कारण हिजबुल्ला की सामरिक स्तर पर स्थिति कमजोर हो गई है। इनपुट भाषा Edited by: Sudhir Sharma

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