श्रीनगर। कश्मीर चिकित्सक संघ (डीएके) ने कहा कि जम्मू कश्मीर के अस्पतालों में शवों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने वाले विशेष वाहन नहीं है। डीएके के अध्यक्ष निसार उल हसन ने कहा कि शवों को सड़ने से बचाने के लिए शवगृह और शवों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाले वाहनों फ्रीजर लगा रहता है। ऐसे वाहन अस्पातलों में नहीं हैं। फिलहाल शवों को एंबुलेंस से एक जगह से दूसरे ले जाया जा रहा है जो गैरकानूनी है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज की मौत एंबुलेंस में हो जाए तब तो उसके शव को गंतव्य तक पहुंचाना उचित है लेकिन शवगृह से शवों को एंबुलेंस में ले जाना सहीं नहीं। वाहनों के अभाव में कई बार अस्पतालों में शव कई घंटे तक पड़े रहते हैं और इस तरह के शवों को रखना एक सभ्य समाज की शिष्टाचार के खिलाफ है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उड़ीसा के कालाहांडी में एक व्यक्ति द्वारा पत्नी के शव को 10 किलोमीटर तक पैदल कंधे पर ढोने की घटना सुर्खियों में है। पीड़ित दाना माझी ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन से मदद की गुहार लगाने के बाद जब उसे कोई मदद नहीं मिली तो उसने पत्नी के शव को कपड़े में लपेटकर पैदल ही वहां से 60 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव ले जाने का फैसला किया। (वार्ता)