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कश्मीर में 12 देशद्रोही सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, 24 पर तलवार लटकी

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सुरेश डुग्गर

, शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016 (00:44 IST)
श्रीनगर। चाचा हड़ताली अर्थात सईद अली शाह गिलानी के हड़ताली कैलेंडर को कामयाब बनाने में मदद करने वाले 12 सरकारी कर्मचरियों को नौकरियों से बर्खास्त कर दिया गया है। 24 अन्य पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। जबकि 100 से अधिक के खिलाफ मामले की जांच चल रही है और अगर आरोप साबित हुए तो उन्हें भी सरकारी नौकरी से बाहर किया जा सकता है। ऐसा कश्मीर में शांति लाने की खातिर भाजपा की ओर से बनाए गए दवाब के कारण ही संभव हो पाया है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने अपने 12 अधिकारियों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया है। इन कर्मचारियों पर आरोप है कि राज्य में अशांति फैलाने में उन्होंने भी भूमिका निभाई। सूत्रों ने बताया कि कई अन्य अधिकारियों पर भी करीब से नजर रखी जा रही है। जिनको बर्खास्त किया गया है वे पत्थरबाजी तथा पत्थरबाजों के साथ गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं।
 
बर्खास्तगी का यह आदेश बुधवार शाम को आया। बर्खास्त किए गए अधिकारियों में कश्मीर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार भी शामिल हैं। उनके अलावा नौकरी गंवाने वालों में शिक्षा, रेवेन्यू, पब्लिक हेल्थ, इंजीनियरिंग और फूड सप्लाई डिपार्टमेंट के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल हैं।
 
इस सिलसिले में एक अधिकारी ने बताया कि इन कर्मचारियों की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की रिपोर्ट पुलिस ने मुख्य सचिव को भेजी थी, जिन्होंने संबंधित विभागों के प्रमुखों को इन कर्मचारियों की सेवाएं बर्खास्त करने का निर्देश दिया। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य के संविधान के अनुच्छेद 126 के तहत यह कदम उठाया है, कुछ कर्मचारियों पर पहले से ही पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत केस दर्ज हो चुका है जबकि कुछ कर्मचारी गिरफ्तारी के डर से फरार हैं।
 
अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 126 को लागू किया है। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था जबकि अन्य या तो जमानत पर बाहर हैं या गिरफ्तारी से बच रहे हैं। 
 
राज्य पुलिस की खुफिया इकाई ने गड़बड़ी पैदा करने और युवाओं को हिंसा के लिए उकसाने के लिए पिछले महीने 36 कर्मचारियों के खिलाफ एक डोजियर तैयार किया था। डोजियर को आगे की कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव के दफ्तर भेजा गया था। बता दें कि 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में हिंसक घटनाएं हो रही हैं जिसमें 96 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 15,000 के ज्यादा लोग घायल हुए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि इन हिंसक प्रदर्शनों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
 
कश्मीर में आतंकवाद के 26 सालों में यह दूसरी बार हुआ है कि सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में नौकरी से निकाला है। राज्य सरकार के कर्मचारी पहले भी कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं और उनमें से कुछ को सेवा से बर्खास्त किया गया है।

मौजूदा शिक्षा मंत्री नईम अख्तर उन पांच सरकारी कर्मचारियों में से एक थे जिन्हें 1990 में राज्य सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था। उन पर कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। उनकी सेवाएं बाद में बहाल कर दी गई थीं क्योंकि कर्मचारियों ने तीन महीने की हड़ताल की थी।

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