Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आने वाले वर्षों में बर्फ विहीन होगा कश्मीर!

Advertiesment
हमें फॉलो करें Jammu and Kashmir
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। पिछले साल सूखे और शुष्क सर्दी से बचने की खातिर अदा की गई नमाजे इस्ताशका को खुदा ने सुना और कश्मीरियों की कबूल हुई तो दुआ बर्फ के रूप में गिरी थी। पर यह कश्मीरियों को खुश नहीं कर सकी थी क्योंकि श्रीनगर शहर में गिरने वाली बर्फ 3.4 मिमी बारिश के ही बराबर थी। इस बार भी कश्मीर में ही नहीं पाक कब्जे वाले कश्मीर में भी नमाजे इस्ताशका अदा की जा रही है, ताकि बर्फ गिरे, लेकिन उम्मीद किसी को नहीं है क्योंकि ऐसे माहौल में कम बर्फबारी उस स्ट्डी को चेतावनी के तौर पर लेने को मजबूर कर रही है, जिसमें कहा गया है कि भविष्य में कश्मीर बर्फ से वंचित रह सकता है।
पिछले साल कश्मीरियों को करीब पांच वर्षों बाद पुनः सूखे और बर्फ से निजात पाने की खातिर नमाजे इस्ताशका का सहारा लेना पड़ा था। पांच साल पहले भी ऐसा हुआ था। उसके अगले दो साल भी इतनी खुशी तो नहीं दे पाए थे, लेकिन तीसरा साल बर्फीले सुनामी के तौर पर सामने जरूर आया था। वर्ष 2007 खुशियों से भरा था क्योंकि सर्दी और बर्फ समय से पहले आ गई थीं।
 
अगर कुछ इसे खुदा का करिश्‍मा मान रहे हैं तो कुछ ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा। लेकिन कश्मीर के मौसम पर स्ट्डी कर रिपोर्ट तैयार करने वाले रिसर्च स्कालर अर्जिमंद तालिब हुसैन की रिपोर्ट एक छुपी हुई चेतावनी दे रही है। यह चेतावनी कश्मीर से बर्फ के पूरी तरह से गायब हो जाने के प्रति है।
 
तालिब हुसैन की रिसर्च कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ा है। यह औसतन कश्मीर में 1.450 डिग्री ऊपर गया है और जम्मू में 2.320 डिग्री। हालांकि मौसम विभाग कहता है कि जम्मू कश्मीर में 0.050 डिग्री की दर से प्रतिवर्ष तापमान में वृद्धि हो रही है।
 
इस स्ट्डी रिपोर्ट की चेतावनी सच्चाई में भी बदल रही है। कश्मीर में अभी तक कम बर्फबारी तथा साल में 9 महीने बंद रहने वाले जोजिला दर्रे के इस बार अभी तक खुले रहने की सच्चाई चेतावनी ही है। 
 
याद रहे जोजिला दर्रे पर हमेशा 20 फुट बर्फ जमी रहती थी और साल के 9 महीने इसे बंद रखना पड़ता था, पर पिछले कुछ सालों से इसके खुलने का समय लगातार बढ़ता जा रहा है और पिछली बार तो इसने हद ही कर दी क्योंकि सर्दियों में इसे पूरी तरह बंद इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि हैवी स्नोफाल ही नहीं हुआ।
 
स्ट्डी रिपोर्ट कहती है कि मौसम का चक्र भी ग्लोबल वार्मिंग ने बदल दिया है। यहां पहले दिसम्बर और जनवरी में बर्फ गिरा करती थी, वह अब फरवरी और मार्च में होने लगा है। कश्मीर में स्नो सुनामी अगर इसकी पुष्टि करता है तो पिछले साल मई के पहले सप्ताह में ऊंचे पहाड़ों पर गिरने वाली बर्फ भी इसकी पुष्टि करती है।
 
ऐसे में इस रिपोर्ट की चेतावनी कश्मीरियों को डरा जरूर रही है, जो कह रही है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग को थामा नहीं गया तो कश्मीर आने वाले सालों में बर्फ से पूरी तरह से वंचित हो सकता है और फिर कोई भी ऐसा नहीं कहेगा कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है। हालांकि बर्फ से वंचित होने की चेतावनी के साथ ही कश्मीर में खाद्य सामग्री की किल्लत की भी चेतावनी यह स्ट्डी रिपोर्ट दे रही है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi