श्रीनगर। जम्मू कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) ने एक निजी विद्यालय के अध्यापक दंपति को शादी के दिन निकाले जाने संबंधी खबरों का संज्ञान लेते हुए सोमवार को विद्यालय के प्रधानाध्यापक को अपने समक्ष हाजिर रहने को कहा है।
एसएचआरसी के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग के चेयरपर्सन न्यायाधीश बिलाल नाजकी ने इन खबरों को गंभीरता से लिया है और राज्य के विद्यालय शिक्षा निदेशक एवं पम्पोर मुस्लिम एजुकेशन इंस्टीट्यूट के प्रधानाध्यापक को इस मामले में सोमवार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया, ‘इसके अलावा, इंस्टीट्यूट के प्रधानाध्यापक को भी सोमवार को व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा गया है।’
उल्लेखनीय है कि पुलवामा में ट्राल कस्बे के रहने वाले तारिक भट और सुमाया बशीर पिछले कई सालों से पम्पोर मुस्लिम एजुकेशन इंस्टीट्यूट में कार्यरत थे। उन्होंने आरोप लगाया कि 30 नवंबर को उनकी शादी के दिन ही विद्यालय प्रबंधन ने अचानक उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। हालांकि विद्यालय से निकाले जाने पर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रधानाध्यापक से बात नहीं हो सकी।
स्कूल के चेयमैन बशीर मसूदी ने बताया कि शादी से पहले दोनों के बीच ‘संबंधों’ के कारण उनकी सेवाएं समाप्त की गई हैं। मसूदी ने बताया, ‘उनके बीच प्रेम संबंध था और स्कूल के दो हजार छात्रों और वहां काम करने वाले दो सौ कर्मचारियों के लिए यह अच्छा नहीं था। इससे छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’ हालांकि दंपति का दावा है कि उनका विवाह परिजनों द्वारा तय किया गया था।
भट ने बताया, ‘हमारी शादी परिजनों की मर्जी से हुई है। कुछ माह पहले हम लोगों की मंगनी हुई थी। पूरे विद्यालय प्रबंधन को यह बात पता थी और मंगनी के बाद सुमाया ने विद्यालय कर्मचारियों को इसके लिए एक पार्टी भी दी थी।’ (भाषा)