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कश्मीर में ‘अफवाहों का राज', निशाने पर सोशल मीडिया

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , रविवार, 23 अप्रैल 2017 (21:20 IST)
श्रीनगर। वर्तमान में कश्मीर में अफवाहों का राज है। अफवाहों ने कश्मीर की शांति खतरे में डाल दी है। हालांकि फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप चलाने वालों पर पुलिस का हथौड़ा चल रहा है फिर भी अशांति का माहौल बना हुआ है।
सोपोर पुलिस ने सोशल मीडिया पर अफवाह को पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। 
 
कानिपोर चदुरा बड़गाम के रहने वाले इस व्यक्ति की पहचान हमजा फारूक के नाम से हुई है। जानकारी के मुताबिक यह जेके न्यूज चौनल नाम के फेसबुक पेज का एडमिनिस्ट्रेटर था। इसे पुलिस ने 18 अप्रैल 2017 को पोस्ट की गई सोपोर में एक व्यक्ति की मौत व 15 अन्य लोगों को चोटें आने की झूठी खबर के कारण गिरफ्तार किया है।
 
उल्लेखनीय है कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया पर अफवाह प्रकाशित व दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को सख्त निगरानी में रखा गया है और ऐसे तत्वों की पहचान करने के बाद उन पर मामला दर्ज कर कानून के तहत सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
 
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सुरक्षाबलों और प्रशासन के खिलाफ फैल रहीं अफवाहों को बातों के जरिए रोकना चुनौतीपूर्ण काम साबित हो रहा है। घाटी में इंटरनेट सेवा एक माह से ब्लॉक हैं। हालांकि 10 अप्रैल को तीन दिन के लिए प्रतिबंध हटाया गया था। इसके बाद फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया साइटों में सुरक्षा बलों के नागरिकों पर कथित अत्याचार के पोस्ट, फोटो और वीडियो की बाढ़ आ गई।
 
समस्या तब गंभीर हो गई जब 19 अप्रैल को यह अफवाह फैली कि पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों के साथ झड़प में 100 छात्र घायल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन जांच में पाया गया कि केवल 20 छात्रों को मामूली चोटें आईं थीं और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।
 
सचाई कुछ भी हो लेकिन यह अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई, जिसके बाद प्रदर्शन और छात्र अशांति फैल गई। अधिकारियों ने कहा कि इन अफवाहों को रोकने के लिए प्रशासन ने कुछ खास प्रयास नहीं किए। पिछले वर्ष तक उत्तरी कमान में जनरल ऑफिसर कमांड इन चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त डीएस हुड्डा कहते हैं कि इसे रोकने के लिए सही सूचना का तत्काल प्रसार करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आप तथ्यों को पेश करिए और इसका निर्णय जनता पर छोड़िए कि वह अफवाहों पर विश्वास करना चाहते हैं अथवा तथ्यों पर।
 
हालांकि अशांत कश्मीर में अफवाह कोई नई बात नहीं है। 1990 की शुरुआत में एक स्थानीय मस्जिद से घोषणा की गई थी कि सुरक्षाबलों ने श्रीनगर शहर के मुख्य वाटर स्टेशन में जहर मिला दिया है जिसके बाद लोगों में दहशत फैल गई थी। तब से लेकर कश्मीर और अफवाहों का चोली-दामन का साथ चल रहा है।

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