राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पारंपरिक रूप से लोगों को खुद से जोड़ने के साथ-साथ अब आधुनिक दौर के अनुसार हाईटेक हो रहा है और अपनी वेबसाइट के माध्यम से अपनी पहुंच को व्यापक करने के अलावा, वह आईटी पेशेवरों तथा शहरों में रहने वालों को भी स्वयं से जोड़ रहा है।
संघ 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शुरू से ही अपनी विचारधारा से जुड़ने और उनमें देश प्रेम और राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए बालभारती और बाल गोकुल कार्यक्रम चला रहा है। विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों के युवाओं को संघ के प्रति आकर्षित करने के लिए भी कार्यक्रम चल रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के अनुसार वर्तमान माहौल के मद्देनजर अब संघ ‘गुणवत्ता सुधार’ की दिशा में काम कर रहा है। इसी कड़ी में संघ कई बदलाव कर रहा है ताकि युवा पीढ़ी अपनी आधुनिक जिंदगी के सपने के बीच देश के प्रति अपने कर्तव्य को न भूले और संघ के जरिए देश की परंपराओं से जुड़ी रहे।
उन्होंने बताया कि इसीलिए संघ ने अपनी वेबसाइट पर ‘ज्वाइन आरएसएस’ नाम से एक कालम बनाया है जहां संघ से जुड़ने के इच्छुक लोग जाकर अपना नाम, पता, फोन नंबर और ईमेल दर्ज करा रहे हैं। फिर संघ कार्यालय इन लोगों के बारे में देश भर में फैले स्वयं सेवकों को बताता है जो उनसे संपर्क करते हैं।
वर्ष 2015 में ‘ज्वाइन आरएसएस’ के माध्यम से 31 हजार 800 लोगों ने तथा वर्ष 2016 में करीब 47 हजार 200 लोगों ने संघ से जुड़ने की इच्छा जताई जिनमें बड़ी संख्या युवाओं की है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रांत प्रचारक वर्ग की वार्षिक बैठक में शामिल होने कानपुर आए होसबोले के अनुसार, संघ अब आईटी पेशेवरों को भी अपने से जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आईटी पेशेवर ही देश को एक विकसित राष्ट्र बनाएंगे इसलिए इन्हें देशभक्ति, सामाजिक समरसता और राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित करना बहुत जरूरी है।
होसबोले ने बताया कि इसके लिए आईटी पेशेवरों वाले शहरों में उनके लिये साप्ताहिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बड़े शहरों में फ्लैटों में रहने वाले लोगों के लिए भी संघ के लोग उनकी कालोनी के कम्युनिटी हाल में जाकर साप्ताहिक कार्यक्रम कर रहे हैं जिनमें उन्हें राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता के बारे में बताया जा रहा है।
संघ द्वारा देश भर में 32 हजार 400 स्थानों पर 50 हजार 700 शाखाएं चलाई जा रही हैं। इसके अलावा 12 हजार 32 साप्ताहिक मिलन और 7233 मासिक मिलन कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। (भाषा)