नैनीताल। उत्तराखंड में खराब मौसम के कारण पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा में अवरोध उत्पन्न हो गया है। कैलाश यात्रा का परंपरागत पैदल रास्ता जहां भूस्खलन की चपेट में आ गया, वहीं हवाई सफर भी स्थगित है। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने विदेश मंत्रालय को यात्रा की वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है।
उत्तराखंड के लिपूलेख दर्रे से होकर जाने वाली कैलाश यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु यात्रा करते हैं। यात्रा हर साल धारचूला के परंपरागत रास्ते से होकर गुजरती है। पिछले साल आई आपदा तथा चीन सीमा तक सड़क निर्माण के चलते कैलाश यात्रा के परंपरागत पैदल रास्ते अवरूद्ध हो गए थे इसलिए विदेश मंत्रालय ने इस साल कैलाश यात्रा का मार्ग बदल दिया था और तीर्थयात्रियों को पिथौरागढ़ से गूंजी पहुंचाने के लिए सेना के 9 हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।
विदेश मंत्रालय की योजना के तहत कैलाश यात्रा के पहले 4 दलों ने बिना किसी अवरोध के गूंजी तक की यात्रा की लेकिन 5वें दल के पिथौरागढ़ पहुंचने के बाद मौसम ने अचानक करवट ली जिसके चलते तीर्थयात्रियों के 5वें दल के सभी सदस्य गूंजी नहीं पहुंच पाए हैं। 5वें दल के 31 सदस्य 3 दिन से पिथौरागढ़ में फंसे हुए हैं जबकि 28 सदस्य गूंजी आधार शिविर में हैं। ऊंचाई वाले इलाके में मौसम खराब होने के चलते सोमवार भी नौसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाए।
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने बताया कि खराब मौसम के चलते सोमवार को भी हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाए, क्योंकि पिथौरागढ़ के ऊंचाई वाले इलाकों में 2 दिन से भारी बारिश हो रही है तथा धारचूला से आगे नजंग के पास कैलाश यात्रा मार्ग पर बना पुल भी बह गया है जिसके कारण परंपरागत पैदल रास्ता भी बंद हो गया है। उन्होंने बताया कि पुल का निर्माण करने में कम से कम 25 से 30 दिन का समय लगेगा और अब यात्रा पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है। मौसम साफ रहा तो यात्रियों को हेलीकॉप्टर से गूंजी तक छोड़ा जाएगा। (वार्ता)