चेन्नई। दिग्गज अभिनेता कमल हासन ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को शुक्रवार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें भी 'काम नहीं तो वेतन नहीं' प्रणाली के तहत लाया जाना चाहिए। अभिनेता की यह टिप्पणी सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के एक वर्ग द्वारा हड़ताल करने और मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उनकी खिंचाई के बीच आई है।
अभिनेता ने किसी का नाम लिए बगैर ट्वीट किया कि 'काम नहीं तो वेतन नहीं' सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए? खरीद-फरोख्त करने वाले राजनेता जो रिजॉर्ट्स में आराम कर रहे हैं उनका क्या? रिजॉर्ट्स की टिप्पणी जाहिरा तौर पर अन्नाद्रमुक के सत्तारूढ़ विधायकों के एक वर्ग के लिए है जिन्हें बर्खास्त नेता टीटीवी दिनाकरण के प्रति निष्ठा के कारण रिजॉर्ट्स में स्थानांतरित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के खिलाफ पार्टी के 19 विधायकों के विद्रोह के बाद उन्हें शुरुआत में पुडुचेरी के एक रिजॉर्ट में रखा गया था। बाद में उन्हें कर्नाटक के कूर्ग रिजॉर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया और तब से वे लोग वहीं पर हैं। (भाषा)