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कैराना में मुस्लिम-जाट गठजोड़ ने फेरा भाजपा की उम्मीदों पर पानी

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अरविन्द शुक्ला

लखनऊ। कैराना लोकसभा व बिजनौर की नूरपुर विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में समूची विपक्षी एकता भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ी। इन दोनों क्षेत्रों के चुनाव परिणाम आगामी राजनीति के बड़े संकेत हैं। कैराना तो भाजपा की चुनावी रणनीति की प्रयोगशाला थी। कैराना टेस्ट केस था, देश के आगामी चुनाव का। तमाम कोशिशों के बावजूद कैराना में चुनाव हिन्दू-मुस्लिम नहीं हो पाया। कैराना में मुस्लिम-जाट के मजबूत गठजोड़ ने भारतीय जनता पार्टी के अरमानों पर पानी फेर दिया।


उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश की कैराना सीट पर सबकी नजरें थी। कैराना में भाजपा की मृगांका सिंह का मुकाबला रालोद की तबस्सुम हसन से था, तबस्सुम को सपा, बसपा और कांग्रेस का समर्थन था। कैराना लोकसभा सीट पर रालोद की तबस्सुम हसन ने 44618 वोटों के अंतर से जीत ली, जबकि नूरपुर सीट पर सपा ने भाजपा को मात दी। उत्तर प्रदेश की नूरपुर विधानसभा सीट से सपा उम्मीदवार नईमु्ल हसन भाजपा के प्रत्याशी अवनी सिंह से 5662 वोटों से जीते। सपा ने भाजपा से छीनी यह सीट।

भाजपा सांसद हुकुम सिंह के फरवरी में निधन के कारण कैराना सीट पर उपचुनाव हुए। अब सिंह की पुत्री मृगांका सिंह यहां से भाजपा प्रत्याशी थीं। नूरपुर में भाजपा विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की सड़क दुर्घटना में मौत के कारण उपचुनाव हुए। कैराना और नूरपुर सीटों के लिए सोमवार को हुए मतदान के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें आई थीं। कैराना सीट पर बुधवार को 73 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया गया था। दोनों ही उपचुनाव क्षेत्रों में सांप्रदायिक विभाजन के सारे तत्व मौजूद थे।

कैराना में तो कुछ महीनों पहले दंगे हुए थे। दोनों ही जगहों पर भाजपा के खिलाफ मुसलमान उम्मीदवार थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिन्ना के सवाल पर चुनाव लड़ा। कैराना में तो पांच लाख मुसलमान थे यानी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सारे तत्व, फिर भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कार्ड नहीं चला। यह तय माना जा रहा है कि कैराना में अगर साम्प्रदायिक विभाजन नहीं हुआ तो अगले साल होने वाले लोकसभा के आम चुनावों में उप्र में सांप्रदायिक विभाजन नहीं हो पाएगा और यदि उप्र में सांप्रदायिक विभाजन नहीं हुआ तो देश में भी नहीं हो पाएगा।

कैराना, नूरपुर एवं देश के अन्य कई राज्यों में हुए उपचुनावों में जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के प्रति आम जनता का आक्रोश खुलकर सामने आया है और भाजपा उम्मीदवार बुरी तरह पराजित हुए हैं इससे स्‍पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अधूरी सड़क का उद्घाटन, रोड शो वाले विकास एवं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के जिन्ना और गन्ना के बयान द्वारा ध्रुवीकरण के प्रयास को आम जनता ने पूरी तरह नकार दिया है। प्रदेश में गन्ना किसानों के 14 हजार करोड़ रुपए बकाया भुगतान की किसानों की पीड़ा खुलकर सामने आ गई। जनता ने धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांटने वालों को करारा जवाब दिया है।

पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में लगातार 15 दिन तक बेतहाशा वृद्धि करने और 1 पैसे की कमी करके जनता के साथ क्रूर मजाक करने वाली भारतीय जनता पार्टी को जनता ने आइना दिखाया है। यह उपचुनाव का परिणाम आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव का ट्रेलर है। रालोद के जयंत चौधरी ने कहा कि हम उन सभी दलों का शुक्रिया अदा करना चाहेंगे, जिन्होंने हमारा समर्थन किया। अखिलेशजी, मायावतीजी, राहुलजी, सोनियाजी, सीपीएम, आप और अन्य सभी का शुक्रिया। जिन्ना हारा, गन्ना जीता।

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