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कश्मीर में कर्फ्यू, प्रतिबंध जारी

हमें फॉलो करें कश्मीर में कर्फ्यू, प्रतिबंध जारी
, सोमवार, 5 सितम्बर 2016 (19:56 IST)
श्रीनगर। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के जुलाई में एक संघर्ष में मारे जाने के बाद से जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते श्रीनगर के कुछ इलाकों में कर्फ्यू और कश्मीर के बाकी इलाकों में प्रतिबंध जारी रहने से सोमवार को लगातार 59वें दिन घाटी में जनजीवन बाधित रहा।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को श्रीनगर शहर के 7 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया। शहर के प्रमुख इलाकों के 5 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी रहा, जबकि शहर के बाहरी इलाके के बटमालू और मैसूमा में भी सोमवार सुबह प्रतिबंध लगाया गया।
 
अधिकारी ने कहा कि ऐसा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि घाटी के बाकी इलाकों में लोगों की आवाजाही पर कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं।
 
अधिकारी ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवेदनशील इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। घाटी में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में अभी तक 200 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए रविवार को यहां सर्वदलीय शिष्टमंडल भी मौजूद था।
 
हुर्रियत नेताओं से मिलने पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से उनके मिलने से मना कर देने के एक दिन बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि अलगाववादियों का रवैया दर्शाता है कि वे 'कश्मीरियत', 'इंसानियत' और 'जम्हूरियत' में यकीन नहीं रखते हैं।
 
प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दूसरे दिन एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि वे इस बारे में आश्वस्त हैं कि राज्य में शांति बहाल होगी और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 प्रतिनिधिमंडलों के साथ बातचीत की है।
 
गृहमंत्री ने कहा कि जहां तक वार्ता का संबंध है तो अमन और सामान्य स्थिति चाहने वाले सभी लोगों के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी पत्र लिखे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य रविवार को हुर्रियत नेताओं से मिलने गए थे। जिन्हें हमने ना तो जाने के लिए कहा था और ना ही नहीं जाने के लिए। जो कुछ भी हुआ उसके बारे में आप जानते हैं। विस्तार में जाने की मेरी इच्छा नहीं है। 
 
उन्होंने कहा कि लेकिन हमें उन दोस्तों ने वापस आकर जो भी सूचना दी, यह कहा जा सकता है कि यह कश्मीरियत नहीं है। इसे इंसानियत नहीं कहा जा सकता। कोई बातचीत के लिए जाता है और वो उसे खारिज कर देते हैं, यह जम्हूरियत भी नहीं है। 
 
उन्होंने कहा कि शांति और सामान्य स्थिति चाहने वाले हरेक आदमी के साथ बातचीत के लिए हम तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। गृहमंत्री ने कहा कि उनकी राज्य की पिछली यात्रा के दौरान पैलेट गनों के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थीं जिसके लिए अब गैर घातक पावा गोलों की सिफारिश की गई है। 
 
उन्होंने कहा कि इन गोलों से किसी की जान नहीं जाएगी। करीब 1,000 गोले यहां पहुंच चुके हैं। घाटी में अस्थिर हालात का जायजा लेने के लिए यहां दो दिवसीय दौरे पर आए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे मंत्री ने कहा कि कश्मीर के हालात को देखकर पूरा देश और संसद दुखी है।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान से बातचीत करने की योजना बना रहा है? सिंह ने कहा कि पहले हम भारतीयों से तो बातचीत करें। यह पूछे जाने पर कि समय-समय पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस द्वारा उठाई जाने वाली स्वायत्तता की मांग पर क्या केंद्र आगे बढ़ने के लिए तैयार है? उन्होंने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित नहीं हैं कि अतीत में किसने क्या कहा। 
 
कश्मीर के हालात में सुधार के लिए हमने प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बातचीतों में सभी के विचार जाने हैं और सहयोग मांगा है। ट्रैक टू चैनल वार्ता के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि वह ट्रैक वन, ट्रैक टू या ट्रैक थ्री स्तरीय बातचीत की बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं।
 
मंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले कश्मीरी युवकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए मंत्रालय ने डॉक्टर संजय राय को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है जिनसे 011-23092923, 23092885 नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है।
 
राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सर्वोच्च पंचायत संसद कश्मीर की स्थिति को लेकर बहुत गंभीर है और इसलिए बातचीत के वास्ते उसने सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि 20 दलों के 26 संसद सदस्य प्रतिनिधिमंडल के अंग के तौर पर यहां बातचीत करने के लिए आए हैं।
 
गृहमंत्री ने कहा कि राज्य के राजनीतिक दलों, नागरिक समाज, विश्वविद्यालय के शिक्षकों, फल उत्पादकों, छात्रों और बुद्धिजीवियों के 300 सदस्यों वाले 30 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के समक्ष अपने विचार रखे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि स्थिति में आवश्यक सुधार हो। प्रतिनिधिमंडल ने इन लोगों, राज्य के राज्यपाल और मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अधिकारियों से भी बात की है। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि स्थिति में सुधार होगा जैसा कि लोग भी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रही राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दे रहा है। (भाषा)

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