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कश्मीर के पर्यटन को 3000 करोड़ का नुकसान

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सुरेश डुग्गर

श्रीनगर। इसे अब आधिकारिक तौर पर मान लिया गया है कि कश्मीर टूरिज्म की कमर टूट गई है। टूरिज्म से जुड़े लाखों लोगों के सामने पेट पालने का सवाल खड़ा हो गया है। पत्थरबाजों ने कश्मीर के टूरिज्म की वाट लगा दी है। कश्मीर का पर्यटन पटरी से उतर चुका है तो पर्यटक बेपत्ता हो चुके हैं।
अधिकारियों की मानें तो कमर सीधी होने में सालों लग जाएंगे, क्योंकि पत्थरबाजों ने टूरिस्टों के दिलोदिमाग में इतना भय भर दिया है कि वे कई साल तक शायद ही कश्मीर का रुख कर पाएंगे।
 
यह सच है कि कश्मीर हिंसा ने पर्यटन उद्योग को पटरी से उखाड़कर रख दिया है। रोजाना 40 करोड़ की चपत लग रही है यानी 75 दिन में क्षेत्र को 3,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। सिर्फ यही नहीं, पर्यटन विकास की लगभग 400 करोड़ की परियोजनाएं भी लटक चुकी हैं। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो पर्यटन के सहारे रोजी-रोटी कमाने वाले सड़क पर आ जाएंगे।
 
जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम (जेकेटीडीसी) के प्रबंध निदेशक डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी कहते हैं कि गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग, यूसमर्ग तथा अन्य स्थानों पर निगम की संपत्तियों में सामान्य परिस्थितियों में इन दिनों ऑक्यूपेंसी 90 से 100 प्रतिशत रहती है, लेकिन इस साल यह मात्र 2 से 4 प्रतिशत है।
 
पर्यटन विभाग और पर्यटन विकास प्राधिकरणों के आवासों में पिछले साल की तुलना में पर्यटकों की 90-95 प्रतिशत की कमी आई है। डॉ. इकबाल के अनुसार हालात का असर पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए प्रधानमंत्री विकास योजना के तहत शुरू की परियोजनाओं पर भी हुआ है। नए और मौजूदा स्थलों पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पीएमडीपी के तहत विभाग को 400 करोड़ उपलब्ध थे।
 
विभाग ने दकसुम, दूधपथरी, कोकरनाग, वेरीनाग, पहलगाम और सलामाबाद (उड़ी) में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए परियोजनाएं तैयार की थीं। सभी परियोजनाएं अधर में लटकी हैं। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कानून-व्यवस्था के संकट से पर्यटन क्षेत्र को लगभग 3,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है।
 
कश्मीर चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्वाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास के लिए गठित कार्यबल के सदस्य रहे डॉ. शकील कलंदर कहते हैं कि अगर हालात अगले कुछ दिनों में सामान्य हो भी जाते हैं तो इनका नकारात्मक असर अगले कई साल के पर्यटन सीजन पर साफ नजर आएगा। अर्थव्यवस्था पर इसका असर अभी से नजर आने लगा है। एक तरह से मौजूदा हालात ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह पटरी से उतार दिया है।
 
गौरतलब है कि कश्मीर में 9 जुलाई से हिंसक प्रदर्शनों का दौर आज भी अलगाववादी खेमे ने जारी रखा हुआ है। पर्यटन उद्योग से जुड़े टैक्सी ऑपरेटर, होटल मालिक, रेस्तरां मालिक, स्थानीय दस्तकार, शिकारा वाले और हाउसबोट मालिक व स्थानीय दुकानदार प्रभावित हुए हैं।
 
मौजूदा हालात के चलते कश्मीर आने के इच्छुक पर्यटकों ने हिमाचल समेत देश के अन्य इलाकों का रुख कर लिया है। सभी होटल व हाउसबोट खाली हो चुके हैं। रेस्तरां बंद पड़े हैं। टैक्सियां टूटी हैं या फिर किसी जगह पार्किंग में खड़ी हैं। कई फिल्म निर्माताओं ने शूटिंग के लिए कश्मीर का शेड्यूल बदल लिया। वे मनाली, हिमाचल समेत अन्य जगहों को शूटिंग के लिहाज से सुरक्षित मान रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए शुरू की गई योजनाएं भी अधर में लटक गई हैं। 
 
पर्यटन विभाग के अनुसार जुलाई 2015 और सितंबर 2015 तक लगभग 3 लाख पर्यटक कश्मीर आए, लेकिन इस साल इसी अवधि में पर्यटकों की संख्या न बराबर रही है। इस साल 1ली से 12 अगस्त तक की अवधि के दौरान 10,059 पर्यटक घाटी में आए जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 89,243 पर्यटक कश्मीर आए थे।

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