मुंबई। कड़े मुकाबले वाले बीएमसी चुनाव में शिवसेना के गढ़ मुंबई में बड़ी सफलता अर्जित करते हुए भाजपा ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की। वह गठबंधन से अलग हुई शिवसेना से महज दो सीट पीछे है जिसे 84 सीट मिली हैं। हालांकि, दोनों ही दल बहुमत के 114 सीटों के जादुई आंकड़े से काफी दूर हैं।
त्रिशंकु जनादेश के चलते कोई भी दल अपने दम पर देश के इस सबसे अमीर निकाय की सत्ता पाने के योग्य नहीं है और ऐसे में कोई गठबंधन होना अनिवार्य हो जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि महाराष्ट्र और केंद्र दोनों जगह सत्तारूढ़ दोनों भगवा दल दोबारा से एक होंगे या फिर नए समीकरण बनेंगे।
आज हुई मतगणना में कांग्रेस 31 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही, वहीं राकांपा और राज ठाकरे की एमएनएस क्रमश: सात और नौ सीटों तक सिमट गईं। पिछले साल हुए चुनावों में दो सीटों के साथ महाराष्ट्र विधानसभा में पहली बार प्रवेश करने वाली एआईएमआईएम को बीएमसी चुनाव में पहली बार में तीन सीटें मिली हैं । समाजवादी पार्टी को छह, अखिल भारतीय सेना को एक और निर्दलियों को चार सीट मिली हैं ।
भाजपा को अन्य नगर निगमों तथा स्थानीय निकाय चुनावों में भी शानदार सफलता मिली है। दस नगर निगमों, 25 जिला परिषदों और 238 पंचायत समितियों के लिए 16 और 21 फरवरी को चुनाव हुए थे। भाजपा की यह जीत उसके मनोबल को बढ़ाने वाली है जो उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत के लिए तमाम कोशिश कर रही है। बीएमसी चुनाव की छाया राज्य सरकार की स्थिरता पर भी थी क्योंकि शिवसेना ने इससे अलग होने की धमकी दी थी और सरकार के नोटिस पर होने की बात कही थी। निवर्तमान निकाय में शिवसेना के पास 89, भाजपा के पास 32, कांग्रेस के पास 51, राकांपा के पास 14, सपा के पास आठ, एमएनएस के पास 28, पीडब्ल्यूपी के पास एक और निर्दलियों के पास चार सीटें थीं।
बीएमसी चुनाव परिणाम : तालिका
दल |
सीट |
भाजपा |
81 |
शिवसेना |
84 |
कांग्रेस |
31 |
राकांपा |
09 |
अन्य |
17 |
शिवसेना के पास लगभग दो दशक से बीएमसी का नियंत्रण था और भाजपा इसकी कनिष्ठ साझेदार थी। बीएमसी निकाय चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला शिवसेना के लिए ठीक नहीं रहा। मतदाताओं का धन्यवाद व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि हमारी जीत पारदर्शिता के हमारे एजेंडा को लोगों द्वारा स्वीकार किए जाने का परिणाम है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की कोर समिति पार्टी के समक्ष विकल्पों को तलाशेगी।
इस बीच भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि जल्दबाजी क्या है? कुछ समय इंतजार कीजिए । अभी हमने फैसला नहीं किया है कि कोई गठबंधन करना है या नहीं । हम ऐसा जल्द करेंगे। इससे पूर्व शुरुआती रुझानों में शिवसेना को लगभग 100 सीटें मिलती दिख रही थीं जिससे विशेषज्ञ यह कहने लगे कि उद्धव ठाकरे की पार्टी छोटे दलों या कुछ निर्दलियों के साथ मिलकर आसानी से बीएमसी में सत्तारूढ़ हो जाएगी।
जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी, भाजपा की झोली में सीटों की संख्या बढ़ती गई। नगर निकाय में भाजपा का यह उच्चतम आंकड़ा है। बीएमसी का बजट कुछ छोटे राज्यों के बजट से भी ज्यादा है। पिछले साल बीएमसी का बजट 37052 करोड़ रुपए का था।
31 पर सिमटी कांग्रेस निरुपम का इस्तीफा : कांग्रेस पार्टी 31 सीटों तक सिमटकर रह गई। इसकी शहर इकाई के अध्यक्ष संजय निरूपम ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है। चुनाव से पहले वरिष्ठ नेता गुरदास कामत के साथ निरूपम का विवाद हो गया था। मतदाताओं ने राज ठाकरे की एमएनएस को जबर्दस्त झटका दिया है जिसकी सीटों का आंकड़ा वर्ष 2012 की 28 सीटों से गिरकर इस बार महज सात सीटों का रह गया। इसका पहला कारण मराठी मतों का शिवसेना के पक्ष में एकजुट होना है। शरद पवार नीत राकांपा ने चुनाव प्रचार के दौरान खुद स्वीकार किया था कि पार्टी का बहुत कुछ दांव पर नहीं है। बीएमसी सहित समूचे राज्य में निकाय चुनावों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के मद्देनजर फड़णवीस ने कहा कि जीत पारदर्शिता एवं विमुद्रीकरण पर मुहर है।
चार महानगरपालिका में भाजपा को पूर्ण बहुमत : महाराष्ट्र में 10 नगर पालिका के चुनाव परिणाम में भाजपा को चार महानगर पालिका में पूर्ण बहुमत हासिल हुआ। भाजपा ने अकोला में 80 में से 48 सीटें जीती हैं जबकि अमरावती में 87 में से 44 सीटें, नासिक में 122 में से 67 सीटें और नागपुर में अब तक घोषित परिणाम में कुल 151 में से 91 सीटें जीती हैं।
भाजपा को इन तीनों नगरपालिका में पूर्ण बहुमत हासिल हो गया। सोलापुर में भाजपा को कुल 102 सीटों में से 47 सीट मिलीं जो पूर्ण बहुमत से सिर्फ चार सीटें दूर है। पिंपरी चिंचवड में कुल 128 सीटे हैं और अब तब 102 सीटों का परिणाम आए हैं जिसमें भाजपा 58 सीटें जीती हैं और पूर्ण बहुमत से 6 सीटें दूर है। उल्हास नगर में 78 में से 32 सीट और पुणे में 162 में से 77 सीट जीत कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। (भाषा/ वार्ता)