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सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव, सेना को सतर्क रहने की हिदायत

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सुरेश एस डुग्गर

, मंगलवार, 2 मई 2017 (19:21 IST)
श्रीनगर। बैंक की कैश वैन पर हमला कर सात सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार देने की घटना के साथ ही एलओसी पर पाक सेना की बर्बरता के बाद कश्मीर के हालात की जो तस्वीर स्पष्ट दिख रही है वह यही संदेश दे रही है कि कश्मीर में आने वाले दिन भयानक साबित होने जा रहे हैं।
 
कहा जाए तो यह सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव की स्थिति है। हालात ये है कि यहां पर पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया है। ऐसे में स्थिति काफी बदतर है। मगर खुफिया सूत्रों द्वारा देश की सेनाओं को अलर्ट रहने की हिदायत दी गई है। इसका कारण है कि घाटी में घुसपैठ बढ़ गई है।
 
दरअसल कश्मीर में तेज हुई हिंसा के पीछे का मकसद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नेस्तनाबूद करके दुनिया को यह संदेश देना था कि कश्मीर अभी भी अशांत है और कश्मीरी नागरिक भारतीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं। ऐसे में यह आशंका प्रकट की जा रही थी कि 25 मई तक कश्मीर उबाल पर ही रहेगा, जब अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के लिए उप-चुनाव होना था।
 
अधिकारियों की मानें तो बीसियों आतंकी एलओसी क्रास कर कश्मीर में घुसने में कामयाब रहे हैं। नतीजतन कश्मीर की शांति खतरे में पड़ गई है। सेना ने आतंकी हमलों को रोकने की खातिर रात्रि तलाशी अभियान तेज करते हुए रात्रि गश्त के साथ-साथ नाकेबंदी की पुरानी रणनीति भी अपनाई है जिस कारण लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
 
वरिष्ठ अधिकारियों ने माना कि पिछले पखवाड़े पाक सेना बीसियों आतंकियों को इस ओर धकेलने में कामयाब हुई है। घुसपैठ करने वाले ताजा आतंकियों के प्रति चौंकाने वाला तथ्य यह है कि वे अति घातक हथियारों से लैस हैं जिन्हें कश्मीर की शांति भंग करने का टास्क दिया गया है। एक सैन्य सूत्र के मुताबिक, एलओसी के कुछ इलाकों में संदिग्ध व्यक्ति देखे गए हैं। हालांकि इस सूत्र ने उन इलाकों की निशानदेही करने से इंकार करते हुए कहा कि इलाकों की पहचान बताए जाने से वहां लोगों में दहशत फैल सकती है।
 
एलओसी से सटे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आतंकी घुसपैठ की फिराक में भी हैं। माना जा रहा है कि इन आतंकियों को भारतीय सीमा में दाखिल करवाने के लिए ही छद्मतौर पर युद्ध की स्थिति बनाई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि एलओसी की तरफ आतंकवादियों का मूवमेंट देखा गया है।
 
जिसके बाद आशंका जताई जा रही है कि कश्मीर में फिदायीन हमले बढ़ सकते हैं। दरअसल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैंप्स से आतंकी निकलकर भारत की ओर आ रहे हैं। ऐसे में ये जम्मू कश्मीर में दाखिल होने की फिराक में हैं। माना जा रहा है कि आतंकी सेना का सड़क संपर्क बाधित कर सकते हैं या फिर कश्मीर में सेना की रोड ओपनिंग पार्टी को अपने निशाने पर ले सकते हैं।
 
आतंकियों के ताजा दलों द्वारा घुसपैठ में कामयाब होने के बाद उनके इरादों के बारे मंे मिली जानकारी सुरक्षाधिकारियों को परेशान कर रही है। वे बताते हैं कि उन्हें भयानक तबाही मचाने का टास्क दिया गया है। वैसे वे इससे भी इंकार नहीं करते थे कि घुसपैठ करने वालों में तालिबानी, अल-कायदा या आईएस के सदस्य हो सकते हैं क्योंकि सुने गए वायरलेस संदेश इसके प्रति शंका पैदा करते थे।
 
अधिकारियों का कहना था कि स्थिति से निपटने की खातिर सेना को रात्रि गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। सेना ने रात्रि तलाशी अभियान फिर से आरंभ किए हैं। साथ ही नाकेबंदी में सेना की सहायता भी ली जाने लगी है। यह सच था कि सेना द्वारा स्थानीय प्रशान को एलओसी के इलाकों में मदद दिए जाने के कारण आम नागरिकों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। पर एक नागरिक प्रशासनिक अधिकारी का कहना था कि सुरक्षा की खातिर इतनी असुविधा को तो सहन करना होगा।
 
कश्मीर के हालात यह स्पष्ट करते हैं कि गठबंधन सरकार के पांव तले से जमीन खिसक चुकी है। राजनीतिक गतिविधियों के लौट आने की बातें यूं हवा में धूल के गुब्बार की तरह छंट जाएंगी किसी ने सोचा नहीं था। कश्मीर में लोकसभा की दो सीटों, श्रीनगर और अनंतनाग, में उप चुनाव की घोषणा के साथ ही हिंसा की आशंका प्रकट की जा रही थी पर वह आशंका आतंकियों से जुड़ी हुई थी और जो हिंसा 9 अप्रैल कश्मीर में हुई उसके प्रति कभी किसी ने सोचा भी नहीं था।
 
स्पष्ट शब्दों में कहें तो गठबंधन सरकार की पकड़ कश्मीर में खत्म हो चुकी है। अगर किसी की पांचों अंगुलियां घी में हैं तो वे अलगाववादी नेता हैं। इतना जरूर था कि अलगाववादी नेताओं के करीबी सूत्र भी अपने चुनाव विरोधी अभियान के इतने पैमान पर रिस्पांस से हैरान हैं। उन्होंने भी शायद कभी इतना समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं रखी थी।
 
कश्मीर में आतंकवाद के इतिहास में पिछले सभी चुनावों में पोलिंग स्टाफ को हमेशा ही आतंकी हमलांें से डर लगता था। इस बार उनका डर दोहरा था। एक तो आतंकियों का और दूसरा पत्थरबाजों का। श्रीनगर में मतदान के दिन पत्थरबाज जिस कद्र कश्मीर के परिदृश्य पर छाए थे, उसने आतंकियों के काम को आसान कर दिया है। अधिकारी आप मानते हैं कि पाकिस्तान भी अब आतंकियों के बजाय पत्थरबाजों का पोषण करने में जुटा हुआहै। यह बात अलग है कि ऐसी खबरें हैरान करने वाली हैं कि पत्थरबाजी में सीमा पार से आने वाले आतंकी भी शामिल हैं।
 
सुरक्षाबल कहने लगे हैं कि घुसपैठ को पूरी तरह से रोक पाना संभव नहीं हो रहा है। फिर से आतंकी हिंसा के बढ़ने की चेतावनी ने कश्मीरियों को परेशान कर दिया है। यूं तो सेना एलओसी पर चप्पे चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का दावा करती है पर परदे के पीछे वह इसे स्वीकार करती है कि तारबंदी, लाखों सैनिकों की तैनाती और उपकरणों की उपस्थिति के बावजूद उबड़-खाबड़ एलओसी पर इक्का-दुक्का घुसपैठ की वारदातों को रोक पाना संभव नहीं है।
 
सेना भी मानती है कि पाक सेना ने घुसपैठ की नीतिओं में जबरदस्त बदलाव लाया है। अब वह परंपरागत रास्तों और तरीकों को छोड़ कर नए तरीके अपना रही है। जिसमें वाया नेपाल और जम्मू बार्डर से आतंकियों को बिना हथियारों के धकेलना तथा एलओसी के रास्ते दो से तीन के गुटों में घुसपैठ करवाना भी शामिल है।
 
पाकिस्तान समर्थित आतंकी हथियारों को लूटने का प्रयास भी कर सकते हैं। गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान की सेना के दो बंकर्स को निशाने पर लिया था। आतंकी कुलगाम में बैंक का कैश लूटने की फिराक में थे आतंकियों ने यहां पर एक कैश वैन पर हमला कर दिया था। जिसमें 5 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और दो बैंककर्मी की मौत हो गई थी। गौरतलब है कि बर्फ पिघलने के बाद आगामी समय में अमरनाथ यात्रा प्रारंभ होगी जिसके लिए सुरक्षा और कड़ी करना पड़ सकती है।
 
सेनाधिकारी आप मानते हैं कि बर्फ के पिघलने के साथ साथ कई आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब हुए हैं। हालांकि वह साथ ही दावा करती है कि घुसपैठ करने में कामयाब हुए आतंकियों की तलाश अभी भी जारी है। जबकि सुरक्षा एजेंसियां यह कहने से नहीं चूक रही कि पिछले कुछ समय से कश्मीर में होने वाली घटनाओं के पीछे ताजा घुसपैठ करने वाले आतंकियों का हाथ था।
 
ताजा चेतावनियों और आतंकी हमलों के दौर में आम कश्मीरी एक बार फिर बुरे हालात के प्रति सोचने लगा है। उसे लगने लगा है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बनते बिगड़ते हालात का सीधा असर कश्मीर पर पड़ेगा और वह उसकी रोजी-रोटी को छीन लेगा। सेना भी कुछ ऐसा ही चेता रही है।


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