मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने पर रोक लगाने से सोमवार को इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एएस गडकरी की एक पीठ हालांकि पुरोहित की उस याचिका पर अगले महीने सुनवाई के लिए सहमत हो गई जिसमें उन्होंने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत अपने अभियोजन को चुनौती दी है। पुरोहित इस मामले के 7 आरोपियों में से एक है।
पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआई) के वकील संदेश पाटिल को मामले की अगली सुनवाई की तिथि 21 नवंबर तक पुरोहित की अर्जी का एक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाने का पुरोहित का अनुरोध अस्वीकार कर इंकार कर दिया। पीठ ने कहा कि पूर्व में उच्चतम न्यायालय और बंबई उच्च न्यायालय दोनों ने ही इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था।
आरोप तय करने की प्रक्रिया ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके बाद किसी आपराधिक मामले में निचली अदालत में मुकदमा शुरू होता है। वर्तमान मामले में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा पुरोहित और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू होने वाली है।
उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकल पर बंधे विस्फोटक सामग्री में विस्फोट होने से 6 व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। पुरोहित के अलावा मामले में अन्य आरोपियों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं। (भाषा)