कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में थाना नवाबगंज में ऑस्ट्रेलिया से आए एक युवक ने गुहार लगाई कि मुझे मेरी मां से मिलवा दो और इलाज के लिए ले जाने में मेरी मदद करो। यह सुन मौके पर मौजूद थाना प्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने तत्काल चौकी प्रभारी को बुला आदेश दिया कि इसे उसकी मां से मिलवाओ। पुलिस ने बेटे को मां से मिलवा दिया। हालांकि उसकी मां को ले जाने की इच्छा अधूरी रह गई। पुलिस ने मां का मेडिकल कराने की बात कहते हुए कोर्ट से सुपुर्दगी लेने की बात कहीं और पल्ला झाड़ लिया।
मां को ले जाने का सपना दिल में लिए बेटा सुबह की फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो गया। जाते जाते भी उसने कहा कि वह हर कीमत पर मां को अपने साथ ले जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ निवासी विजय परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। और मां को अपने साथ न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में रख चुके हैं। पैरालिसिस का अटैक पढ़ने के बाद उन्हें मां को ऑस्ट्रेलिया ले जाने के लिए वीजा नहीं मिल पाया था जिसके चलते उन्होंने अपनी बड़ी बहन उषा के घर पर अपनी मां को रख दिया था और हर महीने 12000 रुपए अपने बहनोई नीरज के खाते में डालते रहते हैं।
विजय ने बताया कि उनकी मां को पेंशन आती है वह भी उनके बहनोई माताजी के खर्चे पर लगाने की बात कह कर ले लेते हैं। कुछ समय नवाबगंज निवासी उसकी बहन ऊषा सारस्वत की मौत हो गई थी। इसके बाद से करीब 2 साल से मां बिमला पुंज उसके बहनोई नीरज सारस्वत के पास आजाद नगर में ही रह रही हैं।
जब 2019 जून में वह मां से मिलने आए थे लेकिन बहनोई ने उन्हें ठीक से मिलने भी नहीं दिया। इतना ही नहीं तब से उनसे फोन से बात भी नहीं कराई जबकि वह काफी बीमार हैं।
इसी महीने 14 जनवरी को उसके बेटे दिव्य पुंज की चंडीगढ़ में शादी है उसकी इच्छा है कि दादी भी समारोह में शामिल हों लेकिन बहनोई उसकी मां को ले जाना तो दूर मिलने भी नहीं दे रहा है।
इस पर उसने नवाबगंज पुलिस को तहरीर देते हुए मां को अपनी सुपुर्दगी में देने की मांग की है लेकिन इंस्पेक्टर ने दरोगा व सिपाहियों को भेजकर विजय को मां से मिलवाया और इस दौरान बहनोई से झड़प भी हो गई।
नवाबगंज पुलिस ने एक बेटे को अपनी ही मां को ले जाने के लिए कानूनी प्रक्रिया बताई है। मामले को लेकर नवाबगंज के प्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने बताया कि प्रार्थना पत्र आया था पुलिस ने ऑस्ट्रेलिया से आए बेटे की मां से मुलाकात करा दी है और अब वृद्ध मां का मेडिकल कराकर मामले को एसीएम-6 के पास भेजा जाएगा। उनके आदेश के बाद बेटे को सुपुर्दगी की कार्रवाई की जाएगी।