लेईमाखोंग (मणिपुर)। मणिपुर में उग्रवाद की समस्या का समाधान जल्द निकलना मुश्किल है, क्योंकि यहां कई उग्रवादी गुट हैं और उनकी अलग-अलग मांगें हैं। सेना के एक अधिकारी ने यह बात संवाददाताओं से कही।
57 माउंटेन डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल वीके मिश्रा ने कहा कि इस राज्य में करीब 30 उग्रवादी संगठन हैं और वे अपनी अलग-अलग मांग रखते हैं। इनमें नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) का आइजक मुइवा गुट और प्रतिबंधित एनएससीएन खापलांग गुट भी शामिल है। इनके अतिरिक्त 16 कुकी संगठन हैं, जो अपने लिए अलग राज्य की मांग करते हैं। यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के 8 गुट भी है, जो मणिपुर के भीतर एक अलग पहाड़ी राज्य बनाना चाहते हैं।
मेजर जनरल मिश्रा ने कहा कि कई समूहों की मौजूदगी जटिलता को बढ़ाती है। अगर बात करना चाहें तो किससे करें? मामले की जटिलता को देखते हुए किसी हल पर पहुंचने में बहुत समय लग सकता है। राज्य को प्रभावित करने वाली समस्याओं को हम 4 हिस्सों में बांट सकते हैं- उग्रवाद, जातीय मुद्दे, आपराधिक गतिविधियां और नशीले पदार्थ की समस्या।
उन्होंने कहा कि सेना और असम रायफल्स सहित अन्य सुरक्षा बल राज्य से उग्रवाद की समस्या का खात्मा करने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उग्रवादी समूहों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है लेकिन बड़े गुटों ने अब तक जवाब नहीं दिया है। (भाषा)