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कीर्तिमान बनाने का जुनून है प्रो. मनोज श्रीवास्तव को

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, शनिवार, 13 मई 2017 (19:50 IST)
डॉ. रमेश कुमार रावत

होटल मैनेजमेंट की दुनिया में प्रो. मनोज श्रीवास्तव का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उन्हें कीर्तिमान बनाने का जुनून है। वे अब तक 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। जयपुर शहर की हृदयस्थली बड़ी चौपड़ में साधारण परिवार में 30 दिसंबर 1968 को जन्मे मनोज ने बचपन से ही पढ़ाई लिखाई, स्काउटिंग में 26 बैच, राष्ट्रपति अवॉर्ड, स्वीमिंग चैंपियन एवं एनसीसी में फ्लाइंग सार्जेन्ट सहित अन्य गतिविधियों में कई उपलब्धियां हासिल कीं। मास्टर्स टूरिज्म (इक्वीलेंट टू एमबीए) करने के बाद मनोज ने होटल मैनेजमेंट की दुनिया में कदम रखकर ताज ग्रुप ऑफ होटल एवं ऑस्ट्रेलियन बेकल्स के साथ काम कर रिसर्च में दस साल तक अपनी सेवाएं देकर अनूठी पहचान बनाई।
 
श्रीवास्तव के रिकॉर्ड बनाने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। एक बार जयपुर शहर की ही एक यूनिवर्सिटी में होटल मैनेजमेंट स्कूल के प्रिंसिपल एवं प्रोफेसर के पद पर कार्य के दौरान इंजीनियरिंग की डीन ने चैलेंज किया कि होटल मैनेजमेंट में रिसर्च जैसा कुछ नहीं है। बस फिर क्या था, आपने अपनी रिसर्च का पूरा उपयोग करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की ठान ली। पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड 2008 में मनोज ने विश्व की सबसे बड़ी एवं सबसे वजनी (180 किलो) एक रोटी बनाई जिसे की क्रेन की मदद से पलटा गया। इसे 16 घंटे में बनाया गया। इसमें 26 विद्‌यार्थियों की टीम ने मनोज के साथ कार्य किया। 
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मनोज 2008 से लेकर 2017 तक 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। इसके साथ ही लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा वर्ल्ड रिकार्ड बनाने का खिताब भी उनके नाम दर्ज है। दूसरा रिकॉर्ड 2013 में विश्व की सबसे बड़ी पाई बनाकर बनाया। यह पाई 14 फुट लम्बी एवं 6 फीट चौड़ी तथा 365 किलो वजनी थी। इसे 12 घंटे में 60 लोगों की विद्‌यार्थियों की टीम के साथ बनाया।
 
तीसरा रिकॉर्ड मनोज ने 2014 में शुगर क्यूब स्ट्रेक्चर बनाकर बनाया। इसमें शुगर के 14353 क्यूब लगे। इसकी साइज 5 फुट चौड़ी एवं पांच फुट लंबी थी। इसे आपने 3 दिन में 11 विद्‌यार्थियों की टीम के साथ मिलकर बनाया। इसके अलावा मनोज ने 800 किलो की ग्रीक डिस मुसाका, फ्रेंच डिश वेजीटेबल औग्राते, गातो अन्नानास समेत कुल आठ रिकॉर्ड बनाए। 
 
प्रो. मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए इन डिसेज को बनाने के लिए विशेष प्रकार के इक्यूपमेंट एवं बर्तन भी खुद ही तैयार कराते हैं। जैसे कि विशालकाय रोटी के लिए तवा, पाई के लिए उसी आकार की ट्रे, मुसाका के लिए एक स्पेद्गाल बर्तन उसी साइज का, गातो अन्नानास के लिए विशेष प्लेटफार्म, मालपुआ एवं सोका के लिए स्पेशल ट्रे का निर्माण भी आपने करवाया। इन डिसेज को पकाने के लिए फ्लेमगन एवं रोस्ट एंड कुक टेक्नीक का प्रयोग किया गया। 
 
श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्ल्ड रिकोर्ड बनाना कोई आसान काम नहीं है। इसमें बहुत मेहनत, लगन एवं अपने प्रोफेशन के साथ प्यार होना चाहिए। इसे बनाने के लिए 6 महीने से सालभर की प्रोसेसिंग एवं रिसर्च करनी पड़ती है। सबसे पहले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड एवं लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को खंगाला जाता है। इसके बाद जिस विषय या जिस उत्पाद में वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका है उस पर दोबारा रिसर्च की जाती है अथवा नए उत्पाद पर रिसर्च की जाती है। इसके बाद रिसर्च प्रपोजल बनता है जिसे अप्रूवल के लिए गिनीज बुक या लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अंतरराष्ट्रीय ऑफिस भेजा जाता है, जहां पर एक्पर्ट पैनल उस रिसर्च प्रपोजल का मूल्यांकन करता है। उसको सारे वर्ल्ड रिकॉर्ड से मैच करता है, तत्पश्चात वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की प्राथमिक स्वीकृति प्रदान की जाती है। 
 
लगातार 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड ने मनोज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा जो कि विश्व के मात्र 13 लोगों को सन्‌ 2015 में अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए दी गई थी। एशिया बुक ऑफ रिकार्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, आईआईएम दिल्ली, सीएस इंस्टीट्‌यूट ऑफ इंडिया, ज्वेल ऑफ इंडिया एवं अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने प्रो. श्रीवास्तव के होटल मैनेजमेंट एजुकेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की। रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया और प्रमाण-पत्र दिए एवं अवॉर्ड से नवाजा। कुछ नया करने का जुनून ही प्रो. मनोज को सफलता दिलवाता है।

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