टीकमगढ़ के ओरछा में चार विदेशी जोड़ों ने हिन्दू रीति-रिवाज से शादी रचाई। दरअसल, इन विदेशी जोड़ों का न तो भारतीय संस्कृति से कोई लगाव होता है, न ही उन्हें इसकी कुछ समझ होती है। उनके लिए यह सिर्फ एंजॉय है। जबकि इन शादियों में बकायदा जयमाला होती है, अग्नि के सामने फेरे भी लिए जाते हैं। वैवाहिक मंत्र पढ़े जाते हैं। साथ ही सात वचन निभाने के वादे भी किए जाते हैं।
यह विदेशी जोड़े स्पेन के बताए जा रहे हैं। इन जोड़ों के नाम हैं हेक्टर-करीना, जोस ल्यूस-माईते, इरनेकुर-मारिया एंजलिस, जोस रेमॉन-एना मारिया। विदेशी जोड़ों का विवाह संपन्न कराने में स्थानीय गाइड हेमंत गोस्वामी और प्रिंस तिवारी ने सहयोग किया है। विदित हो कि बुंदेलखंड के खजुराहो (विश्व पर्यटन स्थल) में इस तरह की शादियां अक्सर होती रहतीं हैं और अब यह ट्रेंड सभी जगह चल निकला है।
सूत्रों की मानें तो अब इस तरह की शादियां करना फैशन सा हो चला है और विदेशी भी इसे एंजॉय का माध्यम मानने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक, अधिकतर जोड़े पहले से ही शादीशुदा होते हैं और कई तो बच्चों के माता- पिता भी होते हैं। बावजूद इसके यह लोग नाटकीय घटनाक्रम के जरिए हिन्दू रीति से विवाह बंधन में बंधते हैं।
हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि वे ऐसा करके धार्मिक रीति-रिवाजों का मज़ाक ही बनाते हैं। विदेशों में शादी की न्यूनतम उम्र महज 15-16 साल है, जबकि यहां 30, 35, 40, 45, 50 की उम्र पार कर चुके जोड़े भी शादियां करते नजर आते हैं। रस्मों के अनुसार, इनका कोई मुहूर्त, नियम, कायदे, कानून, नहीं होते। जब भी विदेशी आते हैं कुछ ही घंटों में शादी संपन्न करा दी जाती है। दूल्हा, दुल्हन, पंडित, नाई, घोड़ा, बैंड, बाजा, बारात, बाराती, घराती सब फिक्स रहते हैं।
इन शादियों में बकायदा जयमाला होती है, अग्नि के सामने फेरे भी लिए जाते हैं। वैवाहिक मंत्र पढ़े जाते हैं। साथ ही सात वचन निभाने के वादे भी किए जाते हैं। सूत्रों की मानें तो यह सब (विवाह कार्यक्रम) उनके टूर पैकेज में पहले से ही शामिल होता है। इसके मुताबिक, उनकी भारतीय रीति-रिवाज के अनुसार शादी कराई जाएगी, जिसका निर्धारित शुल्क भी होता है। विदेशी भी इसे एंजॉय का माध्यम मानकर सहर्ष स्वीकार भी कर लेते हैं।