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मायावती ने मुस्लिमों को साधने के लिए किया उन्हें सपा-भाजपा से सतर्क

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, सोमवार, 26 दिसंबर 2016 (14:14 IST)
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही है संभवत: इसीलिए प्रत्येक भाजपा की रैली के बाद ताबड़तोड़ प्रेस कांफ्रेंस करके उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहती है। एक बार फिर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नोटबंदी को लेकर फिर से भाजपा पर निशाना साधा है वहीं उत्तर प्रदेश में गुंडागदर्गी और सांप्रदायिक दंगों को लेकर सपा पर निशान साधा है।
मायावती ने कहा कि केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजाप अपने वादों का एक-चौथाई भी पूरा नहीं कर पाई है। नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में ले लिया और अब यह उनके लिए गले की फांस बन गया है। अपने चोर दरवाजे से भाजपा ने पूंजीपतियों और धन्नासेठों का बहुत पैसा बहाया है।
 
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा के इशारे पर हो रहा है। कांग्रेस-समाजवादी पार्टी का गठबंधन तभी होगा, जब भाजपा को फायदा होगा। यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार तय है। भाजपा ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कुछ स्वार्थी लोगों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल किया और इसका खूब प्रचार करवाया।
 
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि अनेक तरह के घिनौने हथकंडे अपनाकर और परिवर्तन रैली करने के बाद भी भाजपा को जनाधार बनाने में हताशा ही हाथ लगी है। भाजाप ने रैलियों में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। मायावती ने कहा कि यूपी में दंगों के पीछे समाजवादी पार्टी और भाजपा है। उन्होंने मुस्लिमों को आगाह करते हुए कहा कि भाजाप और अन्य पार्टियां मुस्लिम वोटों को बांटने की चाल चल रही हैं। मायावती ने कहा कि मुसलमानों का सहयोग भाजपा को रोक सकता है और बसपा ही यहां भाजपा को रोकने में सक्षम है।

नूर मेरा नहीं, शाह और मोदी के चेहरे का उतरा : मायावती ने 'नोटबंदी' पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की 'नूर उतर जाने' वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि नूर उनका (मायावती) नहीं, बल्कि शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे का उतर चुका है क्योंकि नोटबंदी से देश की जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
 
गौरतलब है कि कथित रूप से हिन्दू दलितों की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया ने 2007 के  चुनाव में ब्राह्मों को लुभाकर ब्राह्मण वोट कबाड़े थे अब उन्हें मुसलमानों के अपेक्षा बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की जनसंख्या करीब 19 फीसदी है और 140 विधानसभा सीटों पर लगभग 10 से 20 फीसदी तक मुस्लिम आबादी है। 70 सीटों पर 20 से 30 फीसदी और 73 सीटों पर 30 फीसदी से ज्‍यादा मुस्लिम आबादी है। 
 
दूसरी ओर दलित वोट पूरे प्रदेश में 22 फीसदी है। 403 विधानसभा सीटों में से हर सीट पर 60 से 70 हजार दलित वोटर हैं। इस तरह कुल मिलाकर 40 फीसदी वोटरों को लुभाकर वे सत्ता में आना चाहती है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 15 फीसदी ब्राह्मण वोटर है, लेकिन इस बार मायावती के एजेंडे में ब्राह्मणों के लिए कुछ नहीं है।

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